डेस्क:राजस्थान में अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करते हुए अजमेर सिविल कोर्ट में लगाई गई याचिका को कोर्ट ने सुनने योग्य माना है।यह याचिका हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से याचिका लगाई गई। सिविल कोर्ट (वेस्ट) के जज मनमोहन चंदेल ने यह दावा करती याचिका को स्वीकार कर लिया है।
इस केस में दरगाह का ASI सर्वे कराए जाने की मांग की गई है, ताकि सबूत जुटाकर पता लगाया जा सके कि अजमेर दरगाह पहले शिव मंदिर थी या नहीं। कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के बाद नोटिस के निर्देश जारी किए। बता दें संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के आदेश के बाद वहां हुई हिंसा के बाद अब अजमेर दरगाह के सर्वे को लेकर आया ये आदेश काफी अहमियत रखता है।
इससे पहले मंगलवार को कोर्ट ने 27 नवंबर को अगली सुनवाई मुकर्रर की थी। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दावा किया है कि अजमेर की दरगाह पहले हिंदू संकट मोचन मंदिर हुआ करती थी और इसके समर्थन में उन्होंने दस्तावेज और साक्ष्य भी प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि 1910 में प्रकाशित हर विलास शरदा की एक पुस्तक में भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता है। गुप्ता ने अदालत में विभिन्न अन्य दस्तावेज भी पेश किए और मांग की कि अजमेर दरगाह का सर्वेक्षण किया जाए और इसकी मान्यता को रद्द कर हिंदू समाज को यहां पूजा करने का अधिकार दिया जाए।
कोर्ट के आदेश के अनुसार, अजमेर दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक विभाग और एएसआई को नोटिस जारी किए जाएंगे। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने वकील रामनिवास बिश्नोई और ईश्वर सिंह के मार्फत कोर्ट में वाद दायर किया था।