गांधीधाम: आत्मा की दृष्टि से ईमानदारी का बहुत महत्त्व है। व्यावहारिक जीवन में भी ईमानदारी की अपनी गरिमा होती है। अंग्रेजी में एक सूक्त है-ऑनेस्टी इज द बेस्ट पॉलिसी। ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है। ईमानदारी के दो आयाम हैं-चोरी नहीं करना और झूठ-कपट नहीं करना। जो आदमी कभी चोरी नहीं करता, उसके जीवन में ईमानदारी का एक भाग आ जाता है। जो आदमी न झूठ बोलता है और न ही कपट करता है तो मानना चाहिए कि उसके जीवन में पूर्णतया अथवा बहुलांश ईमानदारी आ जाती है।
शास्त्रों में झूठ की निंदा और सच्चाई का महिमा मण्डन किया गया है। सच्चाई की बहुत बड़ी महिमा है कि जिसके हृदय में सच्चाई होती है, उसके भीतर मानों प्रभु का निवास होता है। दुनिया में हर तरह के व्यक्ति मिल सकते हैं। कोई बेईमान भी मिल सकता है तो कितने-कितने आदमी ईमानदार भी मिल सकते हैं। झूठ बोलने वाले आदमी के दिमाग में तनाव रह सकता है, किन्तु सच बोलने आदमी के दिमाग में कोई तनाव नहीं रह सकता। एक झूठ को छुपाने के लिए आदमी को कितना-कितना झूठ बोलना पड़ता है। सच्चाई में मार्ग में परेशानियां आ सकती हैं, किन्तु अंतिम विजय सच्चाई की ही होती है।
आदमी कई जगह झूठ का सहारा ले लेता है। आदमी न्यायालय में, थाने में झूठा आरोप लगा देता है। न्यायालय में कितने-कितने लोग जाते हैं, किन्तु ध्यान रखें कि किसी को फंसाने, किसी को संकट में डालने और अन्याय करने का प्रयास न हो। आदमी को न्यायालय में ईमानदारी रखने का प्रयास करना चाहिए। न्यायालय में सच बोलेने का प्रयास हो तो कितनी अच्छी बात हो सकती है। न्यायालय में न जाना भी एक संयम की बात हो सकती है।
आदमी अपने जीवन में लक्ष्य रखे कि थोड़ी कठिनाई झेल कर भी ईमानदारी का पूर्णतया पालन करने का प्रयास करना चाहिए। छल-कपट रहित सत्य पवित्र सत्य होता है। सच्चाई जगत में सारभूत है। सच्चाई से चेतना निर्मल बनती है और समाज में प्रतिष्ठा भी बढ़ती है। इसलिए आदमी को अपने जीवन में जितना संभव हो सके, सच्चाई के मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए। उक्त पावन पाथेय शुक्रवार को गांधीधाम के अमर पंचवटी के परिसर में बने भव्य ‘महावीर आध्यात्मिक समवसरण’ में उपस्थित जनता को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने प्रदान की।
आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त कच्छ से संबद्ध साध्वी हेमलताजी, गांधीधाम से संबद्ध साध्वी मंगलयशाजी ने आचार्यश्री के में अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए। श्री टोहाणा महाजन समाज से श्री मोहनभाई धारशी, सिंधी समाज की ओर से डॉ. कुन्दनभाई गवलानी, तेरापंथ महिला मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती मंजूबेन संघवी, टीपीएफ के अध्यक्ष श्री मुदित जैन, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष श्री मुकेश सिंघवी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। ‘बेटी तेरापंथ की’ से जुड़ी हुई बेटियों ने भी आचार्यश्री की अभिवंदना में अपनी प्रस्तुति दी। स्थानीय तेरापंथ कन्या मण्डल ने भी आचार्यश्री के स्वागत में अपनी प्रस्तुति दी। स्थानीय ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने भी अपने आराध्य की अभिवंदना में अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। तेरापंथ युवक परिषद ने गीत का संगान किया।