झारखंड के सत्ताधारी विधायक ऐसे समय पर राज्य से बाहर जा रहे हैं जब एक कानून व्यवस्था को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। एक तरफ दुमका में अंकिता को जिंदा जला दिए जाने को लेकर आक्रोश है तो दूसरी तरफ पलामू में 50 महादलित परिवारों को उजाड़ दिए जाने को लेकर भारतीय जनता पार्टी हेमंत सरकार पर हमलावर है।
क्यों रायपुर जा रहे हैं विधायक?
हेमंत सोरेन के खिलाफ पत्थर खनन लीज आवंटन मामले में चुनाव आयोग सुनवाई पूरी करके अपनी सिफारिश राज्यपाल को भेज चुका है। माना जा रहा है कि ऑफिस ऑफ फ्रॉफिट केस में हेमंत सोरेन की सदस्यता जा सकती है और इस वजह से उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है। इस बीच महागठबंधन को टूट का डर भी सता रहा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा भाजपा पर विधायकों को तोड़ने के प्रयास का आरोप लगा रही है। ऐसे में कुनबा सुरक्षित करने के लिए विधायकों को कांग्रेस शासित प्रदेश में शिफ्ट किया जा रहा है।
भाजपा सांसद की चुनौती- 45 विधायकों की कराएं परेड
भाजपा के सांसद ने दावा किया है कि बस में 38 विधायक ही हैं। उन्होंने हेमंत सोरेन को चुनौती दी है कि वह मीडिया के सामने 45 विधायकों की परेड करके दिखाएं। दुबे ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि मैंने 26 तारीख को ही ट्वीट किया था कि इन लोगों को रायपुर जाना है। मुख्यमंत्री ने कोई काम नहीं किया, विधायकों से नहीं मिले। आज यदि उनकी सदस्यता चली जाती है तो उनके पास कोई विकल्प नहीं है। परिवार से बाहर के किसी व्यक्ति को सीएम बनाना नहीं चाहते। पत्नी को बनाएंगे तो घर में विद्रोह हो जाएगा।