नई दिल्ली:इंडोनेशिया में एक फुटबॉल मैच के दौरान हुई भयावह हिंसा में मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार, इस दर्दनाक घटना में 174 लोग काल के ग्रास में समा चुके हैं। सैकड़ों लोग घायल हैं, जिनमें से कई की हालत अभी भी गंभीर बताई जा रही है। इस हिंसक घटना ने उन पुरानी यादों को ताजा कर दिया जिसमें मैच के बाद खूनी खेल खेला गया। 58 साल पहले पेरू के नेशनल स्टेडियम में मैच के बाद भड़की हिंसा में 320 लोग मारे गए थे।
शनिवार रात इंडोनेशिया में पूर्वी जावा के मलंग रीजेंसी के कंजुरुहान स्टेडियम में इंडोनेशियाई लीग बीआरआई लीगा 1 का एक फुटबॉल मैच खेला गया था। यह मैच अरेमा एफसी और पर्सेबाया सुरबाया के बीच खेला गया। पुलिस के अनुसार, मैच में हारने के बाद फैंस भड़क गए और मैदान में आकर उत्पात मचाने लगे। पुलिस ने किसी तरह खिलाड़ियों को बचाया और उपद्रवियों को काबू में करने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े। जिसके बाद भगदड़ मच गई और सैकड़ों लाशें मैदान में बिछ गई।
जब एक मैच में चली गई 320 की जान
फुटबॉल मैचों के खूनी इतिहास पर नजर डालें तो अब तक की सबसे बड़ी हिंसा 58 साल पहले 24 मई 1964 में हुई थी। पेरू के नेशनल स्टेडियम में मैच खेला जा रहा था। मुकाबला था अर्जेंटीना और पेरू के बीच। दोनों टीमें टोक्यो ओलंपिक में अपनी जगह पक्की करने के लिए मैदान में डटी थी। अर्जेंटीना मैच खत्म होने से 2 मिनट पहले 1-0 से आगे चल रही थी। तभी पेरू ने गोला दागा लेकिन, मैच रेफरी ने गोल को अमान्य करार दिया। इससे पेरू ओलंपिक से बाहर हो गया।
भड़क गए पेरू के फैंस
पेरू ओलंपिक से बाहर हो चुका था। गुस्साए पेरू के फैंस मैदान में आ धमके और तांडव मचाने लगे। पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई में आंसू गैस के गोले दागे और उपद्रवियों को खदेड़ा। इससे मैदान में भगदड़ मच गई। स्टेडियम का दरवाजा बंद होने की वजह से लोगों को बाहर जाने के लिए जगह नहीं मिली। इस कारण 320 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।