नई दिल्ली: कश्मीर घाटी में आतंकी गतिविधियों को बेअसर करने के लिए सुरक्षा बलों का अभियान जारी है। इसी के तहत पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश -ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर के तीन भतीजों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया गया था। तीनों ने भारत में घुसपैठ की थी। वह तीनों कश्मीर की घाटी को आतंकवाद की गतिविधियों से दहलाना चाहते थे। हालांकि सुरक्षा बलों ने अपने साहस का परचम लहराते हुए तीनों आतंकवादियों को मार गिराया है।
“हिज्ब-उल-मुजाहिदीन के कमांडर नौ महीने से अधिक नहीं जी पाते”
चिनार कार्प्स के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिल भट्ट (सेवानिवृत्त) ने पॉडकास्ट कार्यक्रम में यह जानकारी साझा की है। उन्होंने कहा की आतंकी संगठन हिज्ब-उल-मुजाहिदीन के कमांडर नौ महीने से अधिक जीवित नहीं रह पाते हैं। उससे पहले ही उन्हें मार गिराया जाता है। अब स्थानीय लोग आतंकवाद से दूर रहना चाहते हैं।
मसूद अजहर के तीनों भतीजे मारे गए
आतंकी संगठनों के लिए स्थिति कठिन बना दी गई है। जिसके परिणामस्वरूप जैश प्रमुख मौलाना मसूद अजहर ने अपने भतीजों को त्राल क्षेत्र में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भेजा था। लेकिन उनकी कोशिशों को नकाम कर दिया गया है। एक भतीजे को 15 दिनों के भीतर मार गिराया गया। इसके बाद दूसरे भतीजे को भेजा गया, हमने उसे 10 दिनों में मार गिराया। तो वहीं तीसरे भतीजे को तीन दिनों में ही खत्म कर दिया गया है।
जनरल भट्ट चिनार कार्प्स कमांडर के रूप में कर चुके हैं काम
भारतीय आर्मी के जाबांज लेफ्टिनेंट जनरल भट्ट (सेवानिवृत्त) ने 2018 में चिनार कार्प्स कमांडर के रूप में कार्य किया हुआ है। उस दौरान भारतीय सेना ने कश्मीर घाटी में आतंकवादी नेतृत्व के खिलाफ व्यापक अभियान चलाए थे। सेना ने कई बड़ी कार्रवाई भी की थी। भारतीय सेना ने क्षेत्र में सक्रिय प्रमुख समूहों को समाप्त कर दिया और एक वर्ष में 274 आतंकवादी मारे गए थे।