चूरु: 16 वर्षों बाद तारानगर में एकदिवसीय प्रवास सुसम्पन्न कर और तारानगरवासियों को आध्यात्मिक तृप्ति प्रदान कर जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी गुरुवार को प्रातः की मंगल बेला में गतिमान हुए तो आज मौसम का मिजाज बदला-बदला नजर आया। आज सूर्य धूल और बादल से भरे आसमान में कहीं गायब हो गया था। तेज चल रही हवाओं का साथ पाकर राजस्थान की रेत पूरे वातावरण को धुंधला बना रही थी। इसके बावजूद भी शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी गतिमान हुए। लोग आज के 16 किलोमीटर के प्रलम्ब विहार को लेकर चिंतित थे कि इतनी प्रचण्ड गर्मी में इतना लम्बा विहार कैसे होगा, किन्तु जनकल्याण के लिए गतिमान महात्मा महाश्रमण के लिए मानों प्रकृति ने स्वयं में परिवर्तन करते हुए सूर्य को बादल और धूल से आच्छादित कर दिया। लगभग सम्पूर्ण विहार के दौरान धूल भरी आंधी कभी तेज तो कभी मंद होती रही। आचार्यश्री 16 किलोमीटर का प्रलम्ब विहार कर बुचावास स्थित बिडेन चिल्ड्रेन एकेडमी में पधारे। विद्यालय के विद्यार्थी और इसके डायरेक्टर श्री बलवान तेतरवाल सहित अन्य ग्रामीणों ने आचार्यश्री का भावभीना अभिनंदन किया।
विद्यालय परिसर में समुपस्थित विद्यार्थियों, ग्रामीणा व श्रद्धालुओं को पावन संबोध प्रदान करते हुए आचार्यश्री महाश्रमणजी ने कहा कि जीवन में शक्ति का परम महत्त्व होता है। कोई भी कार्य बिना शक्ति के संभव नहीं है। बलवान होना महत्त्वपूर्ण होता है, निर्बलता एक प्रकार की कमजोरी होती है और इससे आदमी कई बार दुःखी भी बन जाता है। दुनिया में अनेक प्रकार के बल हैं। जैसे-जनबल, धनबल, मनबल, वचनबल, बाहुबल, आत्मबल आदि। शरीर की शक्ति, जनता की शक्ति, धन का बल होना एक बात है, किन्तु सबसे शक्तिशाली आदमी का आत्मबल होता है। आदमी के पास आत्मबल है तो शेष सभी बल उसके समक्ष गौण हो जाते हैं। जिसके पास आत्मबल है, वह विशेष बात है। हाथी कितना विशालकाय जानवर है, किन्तु एक छोटा अंकुश उस पर नियंत्रण पा लेता है। विशाल पहाड़ को छोटे वज्र का प्रहार भी चकनाचूर कर देता है। इसी प्रकार कोई भी बल हो आत्मबल का होना आवश्यक होता है।
जिस आदमी के पास त्याग की भावना होती है, उसका आत्मबल मजबूत होता है। आदमी को अपनी शक्ति का अच्छा सदुपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने समुपस्थित विद्यार्थियों को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि विद्यार्थियों मंे ज्ञान के साथ अच्छे संस्कार रहें तो उनका जीवन अच्छा हो सकता है। विद्यालय के डायरेक्टर श्री बलवान तेतरवाल ने कहा कि यह हमारे लिए परम सौभाग्य कि बात है कि महान संत आचार्यश्री महाश्रमणजी का हमारे यहां आगमन हुआ। हमारे गांव पर आपका सदैव आशीर्वाद बना रहे। हमारे विद्यार्थियों को आपके श्रीमुख से कुछ संकल्प भी प्राप्त हो जाएं तो उनका जीवन अच्छा हो जाएगा। आचार्यश्री ने समुपस्थित विद्यार्थियों व ग्रामीणों को सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के संकल्प स्वीकार कराए। इस दौरान जिला परिषद सदस्य श्रीमती विमला कालवा व श्री चैनरूप डागा ने अपने पैतृक गांव में आचार्यश्री की अभिवंदना की।