भोपाल : कर्नाटक विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के बाद कांग्रेस मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। जीत की दहलीज तक पहुंचने के लिए पार्टी की नजर उन 70 सीटों पर है, जहां पिछले दो चुनावों में पार्टी जीत दर्ज करने में विफल रही है। पार्टी इन सीट पर अलग से रणनीति तैयार कर अमल कर रही है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ इन सीटों का दौरा कर संगठन की स्थिति का जायजा ले रहे हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, कांग्रेस इन सीट पर नए उम्मीदवारों को मौका देने पर भी विचार कर रही है। इसके लिए सभी सीट पर पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए हैं। इन सीट की जिम्मेदारी वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को दी गई है।
कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चिंता विंध्य क्षेत्र की है। वर्ष 2018 के लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाने की वजह से पार्टी पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर पाई थी। इस क्षेत्र में 30 सीट है। पिछले चुनाव में इनमें 24 सीट पर भाजपा और 6 सीट कांग्रेस को मिली थी। जबकि 2013 में कांग्रेस ने 12 सीट जीती थी।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस वर्ष 2013 में मिली 12 में छह सीट 2018 में गई। जबकि बाकी 18 सीट पर पार्टी पिछले दो चुनावों में जीत हासिल करने में विफल रही है। यही वजह है कि पार्टी इस बार विंध्य क्षेत्र पर खास ध्यान दे रही है। कांग्रेस को भाजपा से बगावत कर अपनी पार्टी बनाने वाले नारायण त्रिपाठी से भी काफी उम्मीदें हैं।
मैहर सीट से विधायक नारायण त्रिपाठी भाजपा के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। पर उन्होंने बगावती तेवर अपनाते हुए विंध्य क्षेत्र को अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर नई पार्टी विंध्य जनता पार्टी (वीजेपी) बनाई है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि स्थानीय मतदाता वीजेपी का समर्थन करते हैं, तो इसका लाभ मिलेगा।
विंध्य क्षेत्र में ब्राह्मण और ठाकुर नेताओं का दबदबा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के कद्दावर नेता स्व. अर्जुन सिंह और स्व. श्रीनिवास तिवारी इसी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। पर पिछले कुछ वर्षों में यह क्षेत्र भाजपा का मजबूत गढ बनकर उभरा है। यही वजह है कि अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह वर्ष 2018 के चुनाव में हार गए।
प्रियंका गांधी 12 जून को जबलपुर जाएंगी
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा 12 जून को जबलपुर से विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत करेंगी। प्रियंका महिलाओं से जुड़े चुनावी वादों की भी घोषणा कर सकती हैं। जबलपुर महाकौशल का केंद्र है। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में जनजातीय आबादी है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने जबलपुर संभाग में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 13 में से 11 सीट पर जीत दर्ज की थी।