टोक्यो : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार सुबह जापान की राजधानी टोक्यो पहुंचे। इस दौरान उन्होंने प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा- जब भी मैं जापान आता हूं तो हर बार देखता हूं कि हर बार आपकी स्नेह वर्षा बढ़ती जाती है। आपमें से कई साथी ऐसे हैं जो कई सालों से यहां बसे हुए हैं। यहां की भाषा और वेशभूषा और कल्चर ये सब आपके जीवन का हिस्सा बन गया है। इसका एक कारण यह भी है कि भारतीय समुदाय के संस्कार समावेशी रहे हैं।
उन्होंने कहा- जापान में अपने कBल्चर और संस्कार का मिलन हुआ है। इसलिए यह अपनापन स्वाभाविक है। आप यहां बस गए हैं। कई लोगों ने यहां शादी भी कर ली है, लेकिन यह भी सही है कि इतने सालों से यहां रहने के बावजूद भारत के प्रति आपकी श्रद्धा और जब भारत के बारे में अच्छी खबर आती हो आपकी खुशियों का पार नहीं रहता और बुरी खबर आती है तो दुखी हो जाते हैं।
भारत और जापान नैचुरल पार्टनर हैं
पीएम मोदी ने कहा- जापान कमल के फूल की तरह अपनी जड़ों से जुड़ा है। इसकी वजह से वो खूबसूरत नजर आता है। यही हमारे संबंधों की कहानी भी है। हमारे संबंधों को 70 साल हो गए हैं। भारत और जापान नैचुरल पार्टनर हैं। हमारे संबंध आत्मीयता और अपनेपन का है। यह रिश्ता सम्मान का है। यह दुनिया के लिए सांझे संकल्प का है। जापान से रिश्ता बुद्ध और बौध का है। हमारे महाकाल हैं, जापान में गायकोतिन है। हमारी मां सरस्वती हैं तो जापान में बेंजायतिन है।
मजबूत हो रहे दोनों देशों के संबंध
21वीं सदी में भी भारत और जापान के सांस्कृतिक संबंधों को हम बढ़ा रहे हैं। मैं काशी का सांसद हूं। जब शिंजो आबे काशी आए तो उन्होंने रूद्राक्ष दिया। ये बातें हमें निकट लाती हैं। आप इस ऐतिहासिक बंधन को मजबूत बना रहे हैं। आज की दुनिया को भगवान बुद्ध के बताए रास्ते पर चलने की पहले से ज्यादा जरूरत है। हिंसा, आतंकवाद या क्लाइमेट चेंज से निपटने का यही रास्ता है। भारत सौभाग्यशाली है कि उसे भगवान बुद्ध का साक्षात आशीष मिला है। चुनौतियां चाहे जैसी भी हों, भारत उनका समाधान खोजता ही है।
मुझे मक्खन पर लकीर खींचने में मजा नहीं आता, पत्थर पर लकीर खींचता हूं। मुझे संस्कार ही कुछ ऐसे मिले हैं कि हमेशा बड़ी चुनौतियों और लक्ष्यों के लिए काम करता हूं। पीएम नरेंद्र मोदी ने जापान में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि आज भारत जब आजादी के 75 सालों को जश्न मना रहा है तो हम आने वाले 25 सालों की योजना भी तैयार कर रहे हैं। हमने बहुत बड़े संकल्प लिए हैं, जो कठिन लगते हैं। लेकिन मुझे जो संस्कार मिले हैं और जिन लोगों ने मुझे गढ़ा है, उससे मेरी एक आदत पड़ गई है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘मुझे मक्खन पर लकीर खींचने में मजा नहीं आता, पत्थर पर लकीर खींचता हूं। मेरे साथ 130 करोड़ देशवासियों का आत्मविश्वास, संकल्प और सपने हैं। इन्हें पूरा करने का विराट सामर्थ्य हमारे पास है और इसका परिणाम जरूर आएगा।’ उन्होंने कहा कि बीते दो सालों में ग्लोबल सप्लाई चेन को नुकसान पहुंचा है और उस पर सवाल खड़े हुए हैं। हम इस संकट से भविष्य में बचने के लिए आत्मनिर्भरता के संकल्प की ओर आगे बढ़ रहे हैं। हमारा यह निवेश सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि ग्लोबल चेन के लिए है। आज पूरी दुनिया को अहसास हो रहा है कि भारत जिस स्पीड और स्केल पर काम कर सकता है, वह अभूतपूर्व है।