कोलकाता:भारतीय चाय निर्यातक संघ के अध्यक्ष अंशुमान कनोरिया ने बताया है कि अंतरराष्ट्रीय और घरेलू खरीदारों ने कीटनाशकों और रसायनों की तय सीमा से अधिक होने के कारण चाय की खेपों की एक सीरीज को वापस लौटा दिया है। वैश्विक चाय बाजार में श्रीलंका की स्थिति कमजोर पड़ने पर भारतीय चाय बोर्ड निर्यात में तेजी लाने पर विचार कर रहा है हालांकि, खेपों की अस्वीकृति के कारण बाहरी शिपमेंट में गिरावट आ रही है।
FSSAI मानदंडों में ढील चाहते हैं कई लोग
कनेरिया ने पीटीआई से बातचीत में कहा कि देश में बेची जाने वाली सभी चाय भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के मानदंडों के अनुरूप होनी चाहिए। हालांकि, अधिकांश खरीदार चाय खरीद रहे हैं जिसमें रासायनिक सामग्री असामान्य रूप से उच्च है।
कनेरिया ने आगे बताया है कि कानून का पालन करने के बजाय कई लोग सरकार से FSSAI मानदंडों को और अधिक उदार बनाने का आग्रह कर रहे हैं लेकिन यह एक गलत संकेत देगा क्योंकि पेय को स्वास्थ्य पेय माना जाता है।
बोर्ड का लक्ष्य 30 करोड़ किलो चाय का निर्यात
कनोरिया ने बताया है कि कई देश चाय के लिए सख्त नियमों का पालन कर रहे हैं। अधिकांश देश यूरोपीय यूनियन के मानकों का पालन करते हैं जो कि FSSAI नियमों से अधिक कठोर हैं। बता दें कि 2021 में भारत ने 195.90 मिलियन किलोग्राम चाय का निर्यात किया। प्रमुख खरीदार स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रमंडल (CIS) देश और ईरान थे। बोर्ड का लक्ष्य इस साल 30 करोड़ किलोग्राम चाय का निर्यात करना हासिल करना है। भारत ने 2021 में 5,246.89 करोड़ रुपये की चाय का निर्यात किया है।
तुर्की ने ठुकराया भारत का गेहूं
तुर्की ने 56877 टन भारतीय गेहूं को लौटा दिया है। तुर्की ने फाइटोसैनिटरी चिंताओं के आधार पर भारतीय गेहूं की खेप को खारिज कर दिया और वापस भारत भेज दिया है। तुर्की ने इसके पीछे कारण बताया है कि भारतीय गेहूं में रूबेला वायरस मिला है। इसलिए वे इसे वापस भेज रहे हैं।