नई दिल्ली:कथित शराब घोटाले में तिहाड़ जेल में बंद आम आदमी पार्टी (आप) के सबसे बड़े नेता अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। कोर्ट से उन्हें अब एक और झटका लगा है। बुधवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सीएम केजरीवाल की वह याचिका खारिज कर दी जिसमें उन्होंने वकीलों से हफ्ते में पांच बार मुलाकात करने की मांग की थी। दरअसल, केजरीवाल हफ्ते में दो बार अपने वकीलों से जेल में मुलाकात कर सकते हैं। ऐसे में उन्होंने मुलाकात बढ़ाने के लिए याचिका दायर की थी। कल (मंगलवार को) भी दिल्ली हाई कोर्ट से उन्हें झटका लगा था।
वकीलों से मुलाकात वाली याचिका खारिज
सीएम अरविंद केजरीवाल के वकील ने कहा था कि उनके खिलाफ 35-40 केस चल रहे हैं। ऐसे में एक हफ्ते में वकीलों से दो बार मुलाकात काफी नहीं है। उन्होंने याचिका दायर कर 5 मुलाकात की मांग की थी। वहीं ईडी ने कहा था कि यह मांग जेल मैन्युल के खिलाफ है। इस मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया है। ‘लाइव लॉ’ की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने वकीलों से मिलने के लिए अतिरिक्त समय की मांग करने वाली अरविंद केजरीवाल की याचिका खारिज कर दी है। उन्हें हफ्ते में दो बार वकीलों से मिलने की परमिशन दी गई है।
कल हाई कोर्ट से लगा था झटका
दरअसल, सीएम केजरीवाल ने ईडी की गिरफ्तारी के खिलाफ हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। उन्होंने 21 मार्च को केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा की गई गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए कोर्ट में चुनौती दी थी। मंगलवार दोपहर में हाई कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया। कोर्ट ने केजरीवाल की याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही ईडी ऐक्शन को वैध बताया।
अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल के वकील विवेक जैन ने ‘पीटीआई’ को बताया कि उन्होंने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उनकी याचिका को तत्काल सूचीबद्ध कराने के लिए भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष बुधवार को इसका उल्लेख किए जाने की संभावना है। दरअसल, लोकसभा चुनाव से पहले केजरीवाल को झटका देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने उनकी उस याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी। अदालत ने कहा था कि बार-बार समन भेजने के बावजूद केजरीवाल के प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पेश नहीं होने और जांच में शामिल होने से इनकार करने के बाद जांच एजेंसी पास कोई खास विकल्प नहीं बचा था।