इंदाैर:मध्य प्रदेश के इंदौर में 52 वर्षीय दुकानदार के मरणोपरांत अंगदान से दो जरूरतमंद मरीजों को नयी जिंदगी मिलने की राह सोमवार को आसान हो गई। अंगदान की प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि पड़ोसी खरगोन जिले के दसोड़ा गांव में किराना दुकान चलाने वाले मायाचंद्र बिरला (52) को ब्रेन हैमरेज के बाद इंदौर के एक निजी अस्पताल में हाल ही में भर्ती कराया गया था। उन्होंने बताया कि इलाज के बावजूद बिरला की हालत बिगड़ती चली गई और चिकित्सकों ने उन्हें रविवार को दिमागी रूप से मृत घोषित कर दिया।
राजी हो गए थे परिजन
अधिकारियों ने बताया कि शोक में डूबे होने के बावजूद बिरला के परिजन उनके मरणोपरांत अंगदान के लिए राजी हो गए। इसके बाद सर्जन ने 52 वर्षीय दुकानदार के शरीर से उनका यकृत (लिवर) और दोनों गुर्दे (किडनी) निकाल लिए। शहर के सरकारी महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. संजय दीक्षित ने बताया कि अलग-अलग अस्पतालों में ऑपरेशन के दौरान बिरला का यकृत लिवर सिरोसिस, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग से जूझ रहे 48 वर्षीय पुरुष को प्रत्यारोपित किया गया। जबकि उनके एक गुर्दे का एक अन्य मरीज में प्रत्यारोपण हुआ।
दूसरी किडनी नहीं हो सकी इस्तेमाल
दीक्षित ने बताया कि तकनीकी कारणों से बिरला का दूसरा गुर्दा अन्य जरूरतमंद मरीज में प्रत्यारोपित नहीं हो सका। अधिकारियों ने बताया कि इंदौर में पिछले सात साल के दौरान दिमागी रूप से मृत 44 मरीजों का अंगदान हो चुका है। इससे हृदय, यकृत, गुर्दा, त्वचा और आंखों के प्रत्यारोपण से मध्यप्रदेश के अलावा दिल्ली, हरियाणा और महाराष्ट्र के जरूरतमंद मरीजों को नये जीवन की सौगात मिली है। उन्होंने बताया कि दूसरे सूबों में हवाई मार्ग से अंग पहुंचाकर उनका प्रत्यारोपण किया गया।