डेस्क:बंगाल की खाड़ी के ऊपर उठा चक्रवाती तूफान फेंगल शनिवार दोपहर को दस्तक देने वाला है। फिलहाल यह तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से लगभग 210 किमी दक्षिण-पूर्व में मौजूद है। यह पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ेगा। 30 नवंबर की दोपहर को चक्रवाती तूफान के रूप में पुडुचेरी के पास कराईकल और महाबलीपुरम के बीच उत्तर तमिलनाडु-पुडुचेरी तटों को पार करेगा, जिसकी हवा की गति 70-80 किमी प्रति घंटे से लेकर 90 किमी प्रति घंटे तक होगी। पुडुचेरी में अधिकारियों ने स्थानीय लोगों को घरों में रहने की सलाह दी है। उन्होंने बताया कि शनिवार को यहां सभी स्कूल और कॉलेज बंद रहेंगे। जिलाधिकारी ए कुलोथुंगन ने पीडब्ल्यूडी, स्थानीय प्रशासन, पुलिस और अन्य विभागों के अधिकारियों के साथ चर्चा की और हालात की समीक्षा की।
चक्रवाती तूफान फेंगल के प्रभाव के कारण चेन्नई शहर के मौसम में बदलाव देखने को मिला। पुडुचेरी में भी फेंगल के कारण कई तटीय क्षेत्रों में उच्च ज्वार और बारिश के साथ मौसम में बदलाव हो रहा है। मौसम विभाग ने शुक्रवार देर रात कई जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी रखा क्योंकि डीप डिप्रेशन पहले से ही चक्रवाती तूफान फेंगल में तब्दील हो गया था। इससे अत्यधिक भारी बारिश होने की संभावना है जबकि तमिलनाडु सरकार ने अपनी पूरी मशीनरी को हाई अलर्ट पर रखा है। विभाग ने कहा कि यह सिस्टम गति पकड़ेगा और तमिलनाडु की ओर बढ़ेगा। शनिवार दोपहर महाबलीपुरम से लगभग 60 किमी दूर मरक्कनम के पास चक्रवाती तूफान के रूप में उत्तरी तमिलनाडु-पुडुचेरी तटों को पार करेगा।
मौसम विभाग ने रेड अलर्ट जारी कर कहा है कि चेंगलपट्टू, विल्लुपुरम, कुड्डालोर और पुडुचेरी में अलग-अलग स्थानों पर भारी बारिश और एक या दो स्थानों पर अत्यधिक भारी बारिश होने की संभावना है। विभाग ने चेन्नई, तिरुवल्लूर, कांचीपुरम, अरियालुर, तंजावुर, तिरुवरुर, मयिलादुथुराई और नागापट्टिनम जिलों और कराईकल क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर बारिश होने की संभावना जताते हुए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। रानीपेट, तिरुवन्नामलाई, कल्लाकुरिची, पेरम्बलुर, तिरुचिरापल्ली, पुदुक्कोट्टई, शिवगंगा और रामनाथपुरम जिलों में अलग-अलग स्थानों पर भारी बारिश होने की संभावना है। इस बीच चेन्नई शहर और उपनगरों में लगातार बारिश के बाद बारिश नहीं हुई लेकिन महाबलीपुरम में देर शाम से बारिश हो रही है। समुद्र की स्थिति बहुत खराब थी और 7 से 8 फीट की ऊंचाई तक ज्वार देखा गया जिससे मछुआरों को किसी भी नुकसान से बचने के लिए अपनी नावों को सुरक्षित स्थानों पर लंगर डालना पड़ा।