माता महालक्ष्मी के प्रिय दिन शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय छठ व्रत शुरू हो गया। इसका समापन सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा। व्रति शनिवार को खरना का व्रत करेंगे। जबकि रविवार को प्रथम व सोमवार को द्वितीय अर्घ्य देकर पारण कर सूर्योपासना का चार दिवसीय अनुष्ठान संपन्न करेंगे। व्रतियों ने नहाय-खाय के दिन शुद्ध घी व सेंधा नमक से बनी कद्दू की सब्जी, चने की दाल व चावल तैयार कर उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। इस प्रसाद को आसपास के लोगों के बीच भी वितरण किया।
खरना का मुहूर्त
छठ का दूसरा दिन खरना है। इस वर्ष यह 29 अक्टूबर को पड़ रही है। द्रिक पंचांग के अनुसार चतुर्थी प्रातः 08:13 बजे शुरू होगी, पंचमी 30 अक्टूबर को प्रातः 05:49 बजे तथा ब्रह्म मुहूर्त 29 अक्टूबर को प्रातः 05:02 से प्रातः 05:52 तक चलेगा।
छठ पूजा 2022 दिन 2 सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
द्रिक पंचांग के अनुसार खरना के दिन 29 अक्टूबर को सुबह 06:43 बजे सूर्योदय होगा और 29 अक्टूबर को शाम 06:04 बजे सूर्यास्त होगा।
शुरू हो गई है खरना की तैयारी
व्रतियों द्वारा नहाय-खाय के साथ ही खरना के व्रत की भी तैयारी शुरू कर दी गई है। गेहूं को सूखाकर उसे जाता या मील में पिसवाया जा रहा है। इस दौरान महिलाएं छठ मइया के गीत भी गाती सुनी जा रही हैं। महिलाएं शनिवार को घाट पर जाएंगी। वहां सरोवरों में डुबकी लगाकर पूजा-अर्चना करने के बाद घर लौटकर शुद्ध घी में चुपड़ी रोटी व नया गुड़ तथा नया चावल की खीर तैयार करेंगी। सूर्यदेव को भोग लकाकर ग्रहण करेंगे। खरना का प्रसाद ग्रहण करने के लिए काफी लोग व्रतियों के घर पहुंचते हैं। नाते-रिश्तेदारों में भी वितरण किया जाता है।
रविवार को व्रती भगवान सूर्य को घाटों पर पहला अर्घ्य देंगे। वह गांव-घर-मुहल्लों से टोली में निकलेंगे और घाट तक जाएंगे। महिलाएं गीत गाते हुए घाट तक जाती हैं। कुछ महिला-पुरुष व्रती घर से घाट तक दंडवत करते जाते हैं। घर के युवा सदस्य सिर पर डाल-दउरा लेकर जाते हैं, तो किशोर ईंख लेकर पहुंचते हैं। हर कोई इस पर्व में व्यस्त ही दिखता है। यह ऐसा पर्व है, जिसमें बच्चे से लेकर वृद्ध तक को स्वच्छता अपनाना पड़ता है। व्रतियों के लिए अलग शुद्ध विस्तर लगता है।
नहाय-खाय के दिन लौकी और चने की दाल खाना शुभ माना गया है। इसको लेकर शुक्रवार को शहर के एकता चौक, सब्जी मंडी, पटेल चौक, जेपी चौक आदि जगहों पर व्रतियों ने लौकी की खूब खरीदारी की। कुछ लोगों ने जरूरतमंद व्रतियों के बीच लौकी का वितरण भी किया गया।
क्या कहती हैं महिला व्रती
महिला व्रती सुमन देवी व कौशल्या देवी ने बताया कि सूर्यदेव की आराधना और संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए छठ पर्व मनाया जाता है। नहाय-खाय के साथ व्रत शुरू हो गया है। पर्व को लेकर पवित्रता का खूब ख्याल रखा जा रहा है। मिट्टी के बने चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर पीतल के बर्तन में अरवा चावल का भात, चना की दाल एवं कद्दू की सब्जी बनाई गई। सर्वप्रथम भगवान सूर्य को भोग लगाने के बाद प्रसाद के रूप में उसे ग्रहण किया गया। इसके बाद घर के सदस्य व पास-पड़ोस के लोगों को प्रसाद के रूप में दिया गया।
दूर होती हैं बीमारियां
कहते हैं कि कद्दू में लगभग 96 फीसदी पानी होता है। इसे ग्रहण करने से कई तरह की बीमारियां खत्म होती हैं। वहीं चने की दाल भी ग्रहण किया जाता है। लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर कैमूर जिले में चहल-पहल बढ़ गई है। बाजारों में रौनक देखने को मिल रही है, जबकि व्रती पूजा की तैयारी में जुट गए हैं। जिले में लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व कार्तिक छठ को लेकर व्रतियों में उत्साह देखा जा रहा है। हर कोई अपनी जिम्मेदारी निर्वहन करने में जुटा है। घर के सदस्यों को अलग-अलग काम सौंपा गया है।
सजने लगी हैं दुकानें
छठ पर्व को लेकर शहर, कस्बों और गांवों तक छोटी-बड़ी दुकानें सज गई हैं। कई अस्थायी दुकानें भी खुल गई हैं, जहां पूजा के सामान बिक रहे हैं। बांस की बनी सूप, डाला, मिट्टी के दीए, हल्दी के गांठ लगे पौधे, मूली, अड़वी, सूथनी, अदरक, तरह-तरह के फल से बाजार पट गए हैं। जिनके घर छठ होना है, वहां तैयारी शुरू हो चुकी है। बाजार में लोग आवश्यक सामग्री खरीदते देखे जा रहे हैं। नगर परिषद ने इस बार भी टाउन हाई स्कूल परिसर में फल दुकान लगाने का निर्देश दिया है। लेकिन, रविवार की दोपहर एक बजे तक दुकान नहीं सजी थी। शहर के बाजार में ही फल की दुकानें लगी हैं।