भोपाल:बिहार में जाति जनगणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद देश की सियायत गरमा गई है। भाजपा ने विपक्ष पर निशाना साधा है। मध्य प्रदेश भाजपा ने सोमवार को कहा कि बिहार में जातीय सर्वेक्षण समाज में दरार पैदा करने का काम करेगा। वहीं कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई ने सूबे की सत्ता में आने पर जातीय जनगणना कराने का वादा किया है। बिहार सरकार की ओर से जारी जाति जनगणना की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कि कमलनाथ ने सोमवार को कहा कि यदि कांग्रेस सूबे की सत्ता में आती है तो जाति जनगणना कराएगी।
कमलनाथ ने कहा कि जब हम सत्ता में आएंगे तो वंचित लोगों का विकास सुनिश्चित करने के लिए राज्य में जाति आधारित जनगणना कराएंगे। वहीं मध्य प्रदेश के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) नेता और बागवानी मंत्री भारत सिंह कुशवाह ने कहा कि जाति अधारित जनगणना और विकास का आपस में कोई संबंध नहीं है। जाति जनगणना समाज में केवल दरार पैदा करने का काम करेगी। उन्होंने बिहार में जाति जनगणना की रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बिहार में एक जाति के लोग दूसरी जाति के उन लोगों को दबाएंगे जिनकी आबादी में कम है।
भारत सिंह कुशवाह ने प्रधानमंत्री मोदी के नारे ‘सबका साथ, सबका विकास’ को दोहराते हुए कहा कि भाजपा उसी लाइन पर कायम है। इसी मंत्र के तहत आज एक अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिला भारत की राष्ट्रपति बनी हैं। कांग्रेस समेत INDIA गठबंधन की पार्टियां झूठे वादे कर रही हैं। उनका ध्यान बांटो और राज करो पर है।
गौरतलब है कि कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में जाति आधारित जनगणना कराने की बात ऐसे वक्त में कही है जब सूबे में चुनाव होने जा रहे हैं। मध्य प्रदेश में ओबीसी समूह कई दशकों से जाति आधारित जनगणना की मांग कर रहे हैं। साल 2019 के बाद इसमें और तेजी आई है। उस समय तत्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने ओबीसी आरक्षण को 14 फीसदी से बढ़ाकर 27% कर दिया था। इसके बाद भाजपा सरकार ने जुलाई 2019 में राज्य विधानसभा में ओबीसी आरक्षण विधेयक पारित किया जिससे राज्य में कुल आरक्षण 73% हो गया।
इसके बाद 3 सितंबर, 2021 को भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर स्कूली शिक्षा, स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा को छोड़कर सभी विभागों में ओबीसी के लिए 27% आरक्षण को लागू करने के लिए कहा। हालांकि, इस फैसले को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दे दी गई है। अदालत में राज्य सरकार ने 2020 में कहा कि राज्य की 51 फीसदी से अधिक आबादी ओबीसी की है और सरकारी नौकरियों में उनका प्रतिनिधित्व केवल 13.6 प्रतिशत है।