डेस्क:भारत और बांग्लादेश के बीच पिछले कुछ महीनों से चल रही तनातनी के बीच बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने दोनों देशों के रिश्तों को अहम करार दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत महत्वपूर्ण पड़ोसी है और उनका देश निष्पक्षता पर आधारित संबंध चाहता है। जमान ने दोनों देशों के बीच हालिया तनाव पर कहा कि बांग्लादेश कई मायनों में भारत पर निर्भर है और वह ऐसा कुछ भी नहीं करेगा जो नई दिल्ली के रणनीतिक हितों के खिलाफ हो।
बांग्लादेश के प्रमुख समाचार पत्र ‘प्रोथोम अलो’ को दिए एक इंटरव्यू में वकर-उज-जमान ने कहा कि भारत की रूचि बांग्लादेश की स्थिरता में रही है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच रोजी-रोटी से जुड़ा ऐसा रिश्ता है जो निष्पक्षता पर आधारित होना चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत में शरण लेने के बाद यह उनका पहला साक्षात्कार है। पिछले साल 5 अगस्त को भारी उपद्रव और आंदोलन के बाद शेख हसीना ढाका छोड़कर भारत चली गई थीं।
बता दें कि नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश में बनी कार्यवाहक सरकार के गठन के बाद से भारत-बांग्लादेश संबंधों में अप्रत्याशित स्तर पर गिरावट आई है। भारत ने बांग्लादेश को हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों के बारे में अपनी चिंताओं से अवगत कराया है,बावजूद इसके यूनुस सरकार ने हिन्दू संत चिन्मय कृष्ण दास को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर द्विपक्षीय संबंधों में नई अड़चन पैदा की है।
अखबार की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए साक्षात्कार के अनुवादित संस्करण के अनुसार, जमान ने कहा, “भारत एक महत्वपूर्ण पड़ोसी है। हम कई मायनों में भारत पर निर्भर हैं और भारत को हमसे सुविधाएं भी मिल रही हैं। उनके बहुत से लोग औपचारिक और अनौपचारिक रूप से बांग्लादेश में काम कर रहे हैं। यहां से भी बहुत से लोग इलाज के लिए भारत जाते हैं। हम उनसे बहुत सारा सामान खरीदते हैं। इसलिए, बांग्लादेश की स्थिरता में भारत का बड़ा हित छिपा है। दोनों देशों के बीच लेन-देन वाला रिश्ता है। यह निष्पक्षता पर आधारित होना चाहिए।”
भारत के रणनीतिक पूर्वोत्तर राज्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ढाका के साथ नई दिल्ली के सहयोग के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए जमान ने कहा, “बांग्लादेश अपने पड़ोसी के साथ ऐसा कुछ नहीं करेगा, जो उनके रणनीतिक हितों के खिलाफ हो।” यहां गौर करने वाली बात यह है कि शेख हसीना की सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों के उन भारत विरोधी विद्रोही समूहों पर नकेल कसी थी, जिन्होंने बांग्लादेश के भीतर गुप्त ठिकाने बना लिए थे। ढाका में पिछली सरकारों ने इन समूहों की ओर से आंखें मूंद ली थीं और बांग्लादेश के खुफिया तंत्र में मौजूद तत्वों ने कथित तौर पर विद्रोहियों का समर्थन किया था।
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सहयोग के बारे में जमान ने कहा, “हम उम्मीद करेंगे कि हमारा पड़ोसी ऐसा कुछ भी न करे जो हमारे हितों के विपरीत हो। जब हम उनके हितों का ख्याल रखेंगे, तो वे भी हमारे हितों का उतनी ही अहमियत से ख्याल रखेंगे।” जमान ने कहा कि बांग्लादेश चटगाँव पहाड़ी इलाकों में अशांति की अनुमति नहीं देगा और म्यांमार सीमा पर स्थिरता को बाधित नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने दक्षिण-पूर्वी बांग्लादेश के उस क्षेत्र का जिक्र किया, जहा 1980 और 1990 के दशक में कई भारत विरोधी विद्रोही समूहों के ठिकाने थे।
जमान ने संकेत दिया कि भारत को भी कई मुद्दों पर बांग्लादेश की चिंताओं का समाधान करना होगा, जिसमें सीमा पार नदियों के पानी का बंटवारा और भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा सीमा पर लोगों की कथित हत्या का मुद्दा शामिल है। उन्होंने कहा, “वे (भारत) सीमा पर हमारे लोगों को नहीं मारेंगे। हमें पानी का उचित हिस्सा मिलेगा। इसमें कोई समस्या नहीं है। संबंधों को समान स्तर पर रहने दें।” उन्होंने कहा कि बांग्लादेश और भारत को “समानता के आधार पर अच्छे संबंध बनाए रखने होंगे” और बांग्लादेशी लोगों को “किसी भी तरह से यह नहीं सोचना चाहिए कि भारत हम पर हावी हो रहा है, जो हमारे हितों के खिलाफ है।”
जमान ने चीन के साथ रक्षा सहयोग पर एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि बांग्लादेश को आगे बढ़ते हुए संतुलन बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की सभी के प्रति मित्रता और किसी के प्रति दुर्भावना नहीं रखने की उत्कृष्ट विदेश नीति रही है। उन्होंने कहा, “चीन हमारे विकास में भागीदार है। उन्होंने बांग्लादेश में निवेश किया है। इसलिए, चीन भी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हम चीन के बहुत से हथियारों का इस्तेमाल करते हैं। वायु सेना भी चीन के हथियारों का इस्तेमाल करती है। नौसेना भी चीन के हथियारों का इस्तेमाल करती है। उनके हथियार तुलनात्मक रूप से सस्ते हैं।”