नई दिल्ली:पश्चिम बंगाल में हायर सेकेंडरी स्कूलों के कर्मचारियों के चयन और नियुक्ति में कथित घोटाले के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। शीर्ष अदालत ने जांच पूरी करने के लिए सीबीआई को दो महीने का समय दिया है और कलकत्ता हाई कोर्ट से इस मामले की सुनवाई के लिए एक डिवीजन बेंच गठित करने को कहा, जो अभी तक लंबित है। दरअसल, प्रभावित कर्मचारियों ने जांच की प्रमाणिकता पर सवाल उठाकर इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
सुप्रीम अदालत ने 9 नवंबर के आदेश में कहा कि बर्खास्तगी निर्देश या नियुक्ति अनुशंसा वापसी तब तक प्रभावी नहीं होगी जब तक कि योग्यता के आधार पर निर्णय लेने के लिए इस डिवीजन बेंच का गठन नहीं किया जाता। मामला पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा वित्त पोषित स्कूलों में कर्मचारियों की तीन श्रेणियों – समूह सी और डी के गैर-शिक्षण कर्मचारी, कक्षा 9,10, 11 और 12 के सहायक शिक्षकों के चयन और नियुक्ति को लेकर है।
कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के बाद मामले की जांच कर रही सीबीआई ने दावा किया था कि उसने एजेंसी के एक पूर्व कर्मचारी के पास से ओएमआर (ऑप्टिकल मार्क रिकग्निशन) शीट वाली एक पेन-ड्राइव बरामद की थी, जिसे इन शीटों के मूल्यांकन का काम सौंपा गया था। हाई कोर्ट ने मूल्यांकन रिकॉर्ड और इन स्कैन की गई ओएमआर शीट में उम्मीदवारों के प्रदर्शन के बीच पर्याप्त अंतर पाया। इसमें कुछ कर्मचारियों को बर्खास्त करने का निर्देश दिया गया था।
मामले की सुनवाई कर रही एकल न्यायाधीश पीठ ने निर्देश दिया था कि सभी 5500 उम्मीदवारों की ओएमआर शीट एक वेबसाइट पर पोस्ट की जाएंगी।
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
प्रभावित कर्मचारियों ने स्कैन की गई तस्वीरों की प्रामाणिकता पर सवाल उठाते हुए इसे शीर्ष अदालत में चुनौती दी। उनकी अपील पर सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि वे मामले की जांच दो महीने में पूरी करे, साथ ही कलकत्ता हाई कोर्ट से मामले की सुनवाई के लिए एक डिवीजन बेंच गठित करने को कहा। शीर्ष अदालत ने कहा, “संबंधित कर्मचारियों की सेवाओं को समाप्त करने का निर्देश देने से पहले उच्च न्यायालय के लिए सीबीआई द्वारा बरामद ओएमआर शीट की तस्वीरों की जांच करना आवश्यक था।”
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने स्पष्ट किया कि वह यह नहीं कह रही है कि नियुक्तियों में पाई गई घोर अनियमितताओं के मामलों में बर्खास्तगी नहीं की जा सकती। अदालत ने कहा कि पैसे के बदले रिकॉर्ड में हेरफेर किए जाने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं और इन दावों को सबूतों के साथ पेश किया जाना आवश्यक है। पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि “आज इस आदेश में नियुक्तियों को जो संरक्षण दिया जा रहा है, वह छह महीने की अवधि तक जारी रहेगा ताकि डिवीजन बेंच इस पर निर्णय दे सके।” डिवीजन बेंच उन सभी बिंदुओं की जांच करेगी जो उसके समक्ष उठाए जा सकते हैं।