नई दिल्ली: भारत ने आज इज़राइल और लेबनान के बीच हुए युद्धविराम समझौते का स्वागत किया। भारत ने इसे पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता लाने की दिशा में अहम कदम बताया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत हमेशा कूटनीति और संवाद के रास्ते को बढ़ावा देता आया है, क्योंकि 21वीं सदी युद्ध का युग नहीं है।
विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया, “हम इज़राइल और लेबनान के बीच घोषित युद्धविराम का स्वागत करते हैं। हमने हमेशा तनाव कम करने, संयम रखने और संवाद व कूटनीति के रास्ते पर लौटने का समर्थन किया है। हमें उम्मीद है कि ये कदम व्यापक क्षेत्र में शांति और स्थिरता लाएगा।”
क्या है युद्धविराम का कारण?
आज से लागू हुए युद्धविराम समझौते में इज़राइल और लेबनान दोनों शामिल हैं। लेबनान स्थित ईरान समर्थित आतंकवादी संगठन हिज़बुल्लाह ने इज़राइल पर रॉकेट और प्रोजेक्टाइल से हमला किया था। यह हमला हमास के समर्थन में किया गया था। हमास, जो गाज़ा में स्थित है, भी ईरान समर्थित एक संगठन है।
हिज़बुल्लाह ने अक्टूबर 2023 में गाज़ा-इज़राइल सीमा पर हमास द्वारा किए गए आतंकवादी हमले के बाद इज़राइल के खिलाफ अपना अभियान तेज कर दिया था। इस हमले में हमास ने एक संगीत समारोह पर हमला कर कई इज़रायली नागरिकों की हत्या की थी और कई को बंधक बना लिया था। इन घटनाओं ने पश्चिम एशिया में युद्ध की स्थिति पैदा कर दी थी।
युद्धविराम के बाद भारत की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने भारत की शांति और संवाद के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा, “भारत शांति के पक्ष में है और सभी पक्षों को संवाद की मेज पर लाने के लिए जो भी संभव हो, वह करेगा।”
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी हाल ही में रोम में लेबनान के विदेश मंत्री अब्दल्लाह बौ हबीब से मुलाकात की। उन्होंने कहा, “मध्य पूर्व की स्थिति बेहद चिंताजनक है। भारत आतंकवाद और बंधकों को बनाए रखने की घटनाओं की कड़ी निंदा करता है। हमें तुरंत युद्धविराम का समर्थन करना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का पालन करना चाहिए।”
क्या कहा इज़रायली प्रधानमंत्री ने?
इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने चेतावनी दी है कि अगर हिज़बुल्लाह समझौते का उल्लंघन करता है, तो इज़राइल इसे मान्यता नहीं देगा और पूरी ताकत से पलटवार करेगा।
इस युद्धविराम को अमेरिका और फ्रांस के हस्तक्षेप से संभव बनाया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों जल्द ही इस पर औपचारिक घोषणा कर सकते हैं।
लेबनान में खुशी का माहौल
युद्धविराम लागू होने के बाद दक्षिण लेबनान के विस्थापित लोग अपने घर लौटने लगे हैं। पूरे क्षेत्र में खुशी और उत्सव का माहौल है।
भारत ने इस समझौते को क्षेत्र में शांति और स्थिरता की दिशा में बड़ा कदम बताया है और सभी पक्षों से संयम बरतने का आग्रह किया है।