अलवर:राजस्थान में अलवर के राजगढ़ में मंदिरों व मकानों के बाद अब गौशाला पर बुलडोजर चलाने का मामला सामने आया है। कठूमर उपखण्ड में पिछले एक दशक से चल रही एकमात्र गौशाला को वन विभाग ने अतिक्रमण मानते हुए ध्वस्त कर दिया। इसका वीडियो वायरल होने के बाद हिंदूवादी संगठनों ने गुस्सा जाहिर किया है। हालांकि प्रशासन का कहना है कि अतिक्रमण की शिकायत गांववालों की तरफ से मिली थी। इसके बाद ही यह कदम उठाया गया है।
एक दशक से चल रही थी गौशाला
लक्ष्मणगढ़ रेंजर्स जतिन सेन ने फोन पर बताया कि मैथना रूधं में स्थित वन विभाग की करीब 1400 बीघा में से 40 बीघा जमीन पर पिछले एक दशक से गौशाला चल रही थी। इसमें 400 छोटे-बड़े गोवंश पाले जा रहे थे। सहायक वन संरक्षक कोर्ट राजगढ़ के 2020 के आदेश के अनुपालन में गोशाला के संचालक को दिसंबर 2021 में गोशाला की जगह खाली करने और गायों को हटाने नोटिस जारी किया गया। लेकिन गोशाला संचालक ने उक्त नोटिस का पालन नहीं किया।
कैंप में मिली थी शिकायत
इसके बाद गुरुवार 21 अप्रैल को वन विभाग ने बुलडोजर चलाकर वन विभाग की जमीन से गौशाला से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की। इस दौरान वन विभाग की टीम, कठूमर पुलिस, राजस्व विभाग सहित भारी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे। अतिक्रमण हटाने समय गोशाला संचालक ने दस दिन का समय मांगा, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के चलते उन्हें समय नहीं दिया गया। कठूमर उपखंड अधिकारी रामकिशोर मीणा ने फोन पर बताया कि पिछले दिनों प्रशासन की ओर से कैंप लगाया गया था। इसमें गौशाला स्थापित कर वन भूमि पर अतिक्रमण करने का मामला आया था। इसको लेकर वन विभाग की टीम के द्वारा अतिक्रमण हटाया गया है।
हिंदूवादी संगठनों का विरोध
वहीं हिंदूवादी संगठनों का कहना है कि सरकार काऊ-टैक्स से करोड़ों रुपए कमाती है। इसके बावजूद गौवंश के रहने के लिए कोई इंतजाम नहीं किया गया। यह गौशाला कठुमर उपखंड के मैथना गांव में थी। यहां से अतिक्रमण हटाकर प्रशासन ने 40 बीघा जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया है। हालांकि गौशाला ध्वस्त होने से करीब 400 गौवंश परेशान हो गए। इनकी रहने और खाने-पीने का प्रशासन की तरफ से कोई इंतजाम नहीं किया गया।