नई दिल्ली:जहां एक तरफ मई के महीने में खुदरा महंगाई दर में गिरावट देखने को मिली है। वहीं, थोक महंगाई दर में इजाफा देखने को मिला है। सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार मई में थोक महंगाई दर 15.88% के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई। थोक महंगाई की दर में हुए इजाफे की बड़ी वजह मिनिरल ऑयल, क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस आदि की कीमतों में बढ़ोतरी है। बता दें, अप्रैल में अप्रैल में WPI मुद्रास्फीति 15.08% थी।
मई 2021 में थोक महंगाई दर 13.11% थी। यानी तब से अब की तुलना में थोक महंगाई दर में 2 प्रतिशत से अधिक का इजाफा देखने को मिला है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ”मई, 2022 में मुद्रास्फीति की उच्च दर मुख्य रूप से खनिज तेलों, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस, खाद्य पदार्थों, मूल धातुओं, गैर-खाद्य वस्तुओं, रसायनों और रासायनिक उत्पादों तथा खाद्य उत्पादों आदि की कीमतों में पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले हुई वृद्धि के कारण है।” डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति पिछले साल अप्रैल से लगातार 14वें महीने दोहरे अंकों में बनी हुई है और तीन महीनों से लगातार बढ़ रही है। मई में खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति 12.34 प्रतिशत थी। इस दौरान सब्जियों, गेहूं, फलों और आलू की कीमतों में एक साल पहले की तुलना में तेज वृद्धि हुई। सब्जियों के दाम 56.36 फीसदी, गेहूं में 10.55 फीसदी और अंडा, मांस तथा मछली की कीमत 7.78 फीसदी बढ़ी।
ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति 40.62 प्रतिशत थी, जबकि विनिर्मित उत्पादों और तिलहन में यह क्रमशः 10.11 प्रतिशत और 7.08 प्रतिशत रही। कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की मुद्रास्फीति मई में 79.50 प्रतिशत थी। मई में खुदरा मुद्रास्फीति 7.04 प्रतिशत थी, जो लगातार पांचवें महीने रिजर्व बैंक के लक्ष्य से ऊपर रही। महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने अपनी प्रमुख ब्याज दर में मई में 0.40 प्रतिशत और जून में 0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी की।