हिन्दु मान्यताओं के अनुसार वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन मां सीता का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को सीता नवमी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सीता को मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है। यानी मां सीता की पूजा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है। इस दिन मां सीता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। यह मान्यता है कि इस दिन मां सीता की पूजा करने से जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। मिथिलांचल में यह पर्व बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है।
इस दिन है सीता नवमी
इस बार सीता नवमी की शुरुआत 28 अप्रलै को शाम 04 बजकर 01 मिनट से शुरू हो रही है। जबकि 29 अप्रैल को शाम 06 बजकर 24 मिनट पर यह समाप्त होगा। लेकिन उदया तिथि के अनुसार इसे 29 अप्रैल 2023 को मनाया जाना अच्छा रहेगा।
क्यों मनाई जाती है सीता नवमी?
मान्यताओं के अनुसार इस दिन पूजा-पाठ और व्रत करना बहुत ही शुभ माना जाता है। माता सीता को मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन माता सीता की पूजा करने से जीवन में सुख शांति के साथ संतान का सुख भी प्राप्त होता है। सीता नवमी के दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती है।
पूजा विधि
सीता नवमी के दिन सुबह स्नान आदि के बाद संभव हो तो पास के किसी राम मंदिर में जाएं। अगर ऐसा संभव ना हो तो आप अपने घर पर ही भगवान राम और मां सीता की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं। इसेक बाद उन्हें गंध, लाल पुष्प, धूप, दीप चढ़ाकर विधि-विधान से पूजा करें। अपने घर के मंदिर में आप गाय के घी का दीपक भी जला सकते हैं।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।