जयपुर:राजस्थान में आज हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस ने 4 में से 3 सीट जीतकर भाजपा को तगड़ा झटका दिया हैं। कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला, मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी राज्यसभा का चुनाव जीत गए हैं। जबकि भाजपा को एक सीट पर ही जीत मिली है। भाजपा के घनश्याम तिवाड़ी राज्यसभा चुनाव जीत गए हैं। भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा को हार का सामना करना पड़ा हैं। राज्यसभा चुनाव में चर्चा है कि भाजपा के दो विधायकों ने क्राॅस वोटिंग की है। वसुंधरा कैंप की विधायक शोभारानी कुशवाह और कैलाश चंद मीना पर क्राॅस वोटिंग के आरोप लगे है। राजस्थान में आपत्ति वाले दोनों वोट खारिज नहीं हुए।दोनों वोटों की काउंटिंग हुई। दोनों वोटों पर आपत्तियां खारिज कर दी गई है। ऐसी चर्चा है कि शोभारानी का वोट कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद तिवारी को गया है।
सुभाष चंद्रा को मिले 30 वोट
तय समय से करीब 1 घंटे 23 मिनट लेट हुई मतगणना के बाद कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला, मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी एवं भाजपा के घनश्याम तिवाड़ी को विजयी घोषित कर दिया गया। राज्यसभा में जीत से सीएम गहलोत का कद बढ़ गया हैं। भाजपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चंद्रा को 30 और घनश्याम तिवाड़ी को 43 वोट मिले। कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला को 43, मुकुल वासनिक को 42 और प्रमोद तिवारी को 41 वोट मिले। कांग्रेस को 126 से ज्याद वोट मिले है। कांग्रेस को एक वोट रिजेक्ट हुआ है। जबकि भाजपा का एक वोट कांग्रेस को मिला है।
सुभाष चंद्रा के वोटों में ही कांग्रेस ने लगाई सेंध
कांग्रेस के विधायकों में सेंध लगाने का दावा करने वाले भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा के वोटों में कांग्रेस ने सेंध लगा दी। हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी के 3 विधायकों का सपोर्ट सुभाष चंद्रा को मिला। भाजपा के कुल वोट 74 हो गए, लेकिन कांग्रेस ने बीेजेपी के 2 वोटों की सेंध लगा दी। आरएलपी के समर्थन के बाद सुभाष चंद्रा को 8 वोट चाहिए थे। लेकिन सुभाष चंद्रा 8 वोटों का जुगाड़ नहीं कर पाए।कांग्रेस के उम्मीदवारों को कांग्रेस के 108, 13 निर्दलीय, एक आरएलडी, दो सीपीएम और दो बीटीपी विधायकों को मिलाकर कुल 126 विधायकों का समर्थन मिला है। भाजपा कांग्रेस के खेमे में सेंध नहीं लगा पाई। चुनाव से पहले भाजपा नेता कांग्रेस विधायकों को तोड़ने का दावा कर रहे थे।
जीत से राजस्थान में गहलोत हुए मजबूत
राज्यसभा चुनाव परिणाम से सीएम अशोक गहलोत सियासी तौर पर मजबूत हुए है। साल 2020 में पायलट कैंप की बगावत के बाद भी गहलोत ने चतुराई से अपनी सरकार को गिरने से बचा लिया। इस बार गहलोत ने राज्यसभा की 4 में से 3 सीटें जीतकर रणनीतिक कौशल का परिचय दिया है। तीनों बाहरी उम्मीदवारों के जीतने के बाद गहलोत राजस्थान में मजबूत होकर उभरे हैं। कांग्रेस आलाकमान की नजर में गहलोत के नंबर बढ़ गए है। कांग्रेस पर जब भी संकट आय़ा है गहलोत संकट मोचक बने हैं। माना जा रहा है कि राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 गहलोत के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। राजस्थान में कांग्रेस की कमान गहलोत के हाथ में रहेगी। सियासी तौर पर सचिन पायलट के लिए झटका माना जाएगा। गहलोत के नेतृत्व में पंचायत चुनाव से लेकर विधानसभा उप चुनावों में कांग्रेस ने जीत हासिल की है। राज्यसभा चुनाव में जीत से गहलोत का कांग्रेस में राजनीतिक कद बढ़ गया है।