सादुलपुर, चूरु (राजस्थान): जन-जन के मानस के मैल को अपनी ज्ञानगंगा से धोने वाले, जन-जन को सन्मार्ग दिखाने वाले, विश्व विख्यात अहिंसा यात्रा के प्रणेता, जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी का रविवार को सादुलपुर की धरा पर मंगल पदार्पण हुआ तो मानों पूरा सादुलपुर महाश्रमणमय बन गया। सादुलपुर के सभी जैन-अजैन मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमणजी के दर्शन को उमड़ पड़े। जन-जन की उपस्थिति मानों सद्भावना का संदेश दे रही थी। रविवार को प्रातः आचार्यश्री राजगढ़ से सादुलपुर की ओर प्रस्थित हुए। संभवतः भीलवाड़ा चतुर्मास के बाद से गतिमान आचार्यश्री का आज सबसे छोटा विहार था। लगभग डेढ़ किलोमीटर का विहार रहा, किन्तु श्रद्धालुओं की उपस्थिति और जन-जन में दर्शन की अभिलासा के कारण आचार्यश्री को डेढ़ किलोमीटर की दूरी तय करने में लगभग दो घंटे का समय लगा। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री सादुलपुर स्थित सेठिया परिवार के निवास स्थान में पधारे।
प्रवास स्थल से कुछ दूरी पर स्थित सुराणा भवन में उपस्थित विशाल जनमेदिनी को आचार्यश्री ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि जीवन में प्रवृत्ति के तीन साधन बताए गए हैं-शरीर, वाणी और मन। शरीर के द्वारा घूमना-फिरना, अन्य कोई कार्य, वाणी के द्वारा बोलना और मन के द्वारा चिंतन, विचार आदि किया जाता है। आदमी अपने इन तीनों प्रवृत्ति के साधनों से असत् प्रवृत्ति न करे, ऐसा प्रयास करना चाहिए। हाथ किसी को कष्ट देने के लिए नहीं, बल्कि पवित्र सेवा करने के लिए उठे। चलने के दौरान किसी जीव की हिंसा न हो, इसलिए ध्यान से चलने का प्रयास हो। वाणी से किसी को ठेस न पहुंचे। कम बोलना, मिठा बोलना और सत्य बोलना वाणी का आभूषण होता है। वाणी के द्वारा किसी पर झूठ आरोप लगाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। मन में किसी के प्रति द्वेष की भावना का विकास न हो। आदमी का मन दुर्मन नहीं, सुमन बना रहे। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व मुख्यनियोजिका साध्वी विश्रुतविभाजी ने सादुलपुरवासियों को सम्बोधित किया।
आचार्यश्री ने सादुलपुर आगमन के संदर्भ में कहा कि आज सादुलपुर में आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के महाप्रयाण के बाद प्रथम बार आना हुआ है। यहां की जनता में सद्भावना, नैतिकता नशामुक्ति की चेतना का जागरण हो। जन-जन में समता और शांति बनी रहे।
कार्यक्रम में आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति-सादुलपुर के अध्यक्ष श्री रतनलाल सेठिया, श्री निर्मल बोथरा, श्रीमती शायर बोथरा, श्री विनोद कोठारी, श्री पुष्पकांत शर्मा, श्रीमती मधु सेठिया, श्रीमती ऊषा दूगड़, श्री मनीष घिया, श्रीमती प्रेम कोचर, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष श्री कमल बोथरा, श्रीमती माया दूगड़ ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल, तेरापंथ कन्या मण्डल, तेरापंथ युवक परिषद, सेठिया परिवार, श्री विवेक गेलड़ा, श्रीमती नैतिका छल्लाणी, श्रीमती नीतू सेठिया, श्रीमती संगीता सेठिया, सुश्री भावना शर्मा, श्रीमती कुसुम बैद, श्री रवि मालू श्री उमेश तथा तेरापंथ कन्या मण्डल-सरदारशहर ने पृथक्-पृथक् गीतों के माध्यम से आचार्यश्री का अभिनंदन किया। राजकीय मोहता बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय के छात्राओं द्वारा अणुव्रत आचार संहिता का पाठ किया गया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। बालिका पृषा सुराणा ने चौबीस तीर्थंकरों का परिचय प्रस्तुत किया।