हर वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन गीता जयंती पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 03 दिसम्बर 2022, शनिवार (Gita Jayanti 2022 Date) के दिन मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर भगवान श्री कृष्ण के साथ श्रीमद्भागवत गीता की भी विधि-विधान से पूजा की जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि भगवत गीता को जीवन का दर्पण माना जाता है। मान्यता है कि भगवत गीता का पाठन और श्रवण करने से व्यक्ति को कई प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिलती है। साथ ही उनके जीवन में खुशियों की लहर दौड़ पड़ती है। गीता जयंती के इस सप्ताह में आज हम भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिए गए एक अमूल्य ज्ञान के विषय में जानेंगे। जिसमें उन्होंने बताया है कि एक श्रेष्ठ व्यक्ति का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है।
भगवत गीता: अध्याय 3- श्लोक संख्या 21
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः ।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते ।।
अर्थात- गीता के इस श्लोक में श्री कृष्ण अर्जुन को बता रहें हैं कि एक श्रेष्ठ व्यक्ति जैसा आचरण करता है, वैसा ही आचरण समाज के अन्य लोग भी अपनाते हैं। वह जो कुछ भी प्रमाण देता है, समस्त मनुष्य समुदाय उसके अनुसार कार्य करने लगता है।
इस श्लोक में बताया गया है कि एक श्रेष्ठ व्यक्ति अर्थात राजा, नायक या अध्यात्मिक गुरु जिस तरह के आचरण का पालन करता है, उसकी प्रजा भी उसी आचरण को अपने जीवन में अपना लेती है। यदि राजा निष्ठावान और सत्यप्रिय है तो राज्य में भो उसकी प्रजा भी वैसा ही आचरण अपनाएगी। लेकिन दुष्ट, क्रूर और अधर्मी शासक के शासन में प्रजा भी अपने राजा के समान ही दुर्व्यवहार करने लगती है और अधर्म बढ़ने लगता है। इसलिए मनुष्य को भी अपना आदर्श चुनने से पहले उनके विषय में जान लेना चाहिए। यही बुद्धिमानी का काम होता है। इसके साथ जीवन में गुरु का चयन भी सोच-समझकर करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि जीवन में गलत व्यक्ति का सानिध्य और गलत व्यवहार केवल विनाश को जन्म देते हैं।
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