डेस्क:दिल्ली और गुजरात से 13 हजार करोड़ रुपये की ड्रग्स पकड़े जाने के मामले में नए खुलासे हो रहे हैं। आरोपियों से पूछताछ में स्पेशल सेल को पता चला है कि तस्करों का नेटवर्क दिल्ली, पंजाब, कश्मीर, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध प्रदेश तक फैला था। ‘भारत की बर्बादी का सामान’ सबसे पहले गुजरात पहुंचता था।
इस नेटवर्क में अंतरराष्ट्रीय से लेकर स्थानीय तस्कर शामिल हैं। दुबई से सरगना वीरेंद्र बसोया उर्फ वीरू के निर्देश पर यूके का तस्कर सतविंदर इसे समुद्री मार्ग के जरिए गुजरात तक पहुंचाता था, जहां फार्मास्यूटिकल कंपनी में कच्चे माल को रिफाइन कर इसे तस्करी के ट्रांजिट प्वाइंट के रूप में इस्तेमाल की जा रही दिल्ली भेजा जाता था। इसके बाद अन्य प्रदेशों में इसकी सप्लाई होती थी।
कई आरोपी अभी हैं फरार
कोकीन की खेप गुजरात पहुंचाने वाले कई फरार पूछताछ में आरोपियों ने यह भी खुलासा किया है कि अबतक बरामद करीब 1,300 किलो कोकीन की खेप दक्षिण अमेरिकी देशों से तस्करों द्वारा गुजरात की ड्रग्स कंपनी तक पहुंचाई गई थी। हालांकि, गिरोह का पर्दाफाश होते ही नेटवर्क से जुड़े कई बड़े खिलाड़ी खासतौर से यूके नागिरक और उसके नेटवर्क से जुड़े तस्कर भूमिगत हो गए हैं। गुजरात में पुलिस के हत्थे चढ़े पांच आरोपियों में विजय भेसनिया, अश्वनी रमानी, ब्रिजेश कोठिया, मयूर देसले और वड़ोदरा निवासी अमित के यूके स्थित हैंडलर्स के साथ करीबी रिश्ते थे।
कोडवर्ड में करते थे बात
गिरोह में किसके जिम्मे किस काम की जिम्मेदारी थी, इस बात की जानकारी किसी को नहीं होती थी। दरअसल, इस नेटवर्क का संचालन मुख्य रूप से दुबई से वीरेंद्र बसोया, यूके से सतविंदर और भारत से तुषार गोयल मिलकर करते थे। इन तीनों का अपना अलग नेटवर्क था। तीनों स्थानीय नेटवर्क से जुड़े लोगों से कोड वर्ड में बात करते थे। तस्करी को छिपने के लिए बातचीत का इसे ही माध्यम बना रखा था।
अब तक 13 हजार करोड़ की बरामदगी
बता दें कि, गत दो अक्तूबर को स्पेशल सेल ने दिल्ली के महिपालपुर में एक गोदाम से 560 किलोग्राम से अधिक कोकीन और 40 किलोग्राम हाइड्रोपोनिक मारिजुआना जब्त किया था। इसकी कीमत 5,620 करोड़ रुपये आंकी गई और चार लोगों को गिरफ्तार किया गया। बाद में दो अन्य को अमृतसर और चेन्नई से पकड़ा गया। इस मामले में अभी कई तस्कर फरार हैं, जिन्हें स्पेशल सेल ढूंढ रही है।