रांची: झारखंड की राजनीति में बड़ा उलटफेर करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के वरिष्ठ नेता चंपाई सोरेन ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने इस्तीफे की घोषणा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर की, जहां उन्होंने लिखा कि वह आदिवासियों, मूलवासियों, दलितों, पिछड़ों और आम लोगों के अधिकारों और उनके मुद्दों को लेकर संघर्ष करते रहेंगे।
चंपाई सोरेन का यह कदम राज्य की राजनीति में हलचल मचा सकता है। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख शिबू सोरेन को संबोधित अपने त्यागपत्र में लिखा कि वह जेएमएम की मौजूदा नीतियों और कार्यशैली से बेहद असंतुष्ट हैं और इसी वजह से पार्टी छोड़ने के लिए विवश हो गए हैं। उनका यह कदम जेएमएम के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि चंपाई सोरेन पार्टी के एक मजबूत और कद्दावर नेता माने जाते थे।
चंपाई सोरेन ने एक्स पर अपने पोस्ट में स्पष्ट किया कि पार्टी छोड़ने के बावजूद वह राज्य के आदिवासियों और अन्य वंचित वर्गों के मुद्दों को उठाते रहेंगे। उन्होंने लिखा, “हमारा संघर्ष जारी रहेगा।” इससे यह स्पष्ट होता है कि चंपाई सोरेन आने वाले समय में झारखंड की राजनीति में एक अलग भूमिका में नजर आ सकते हैं।
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, चंपाई सोरेन का यह निर्णय लंबे समय से पार्टी में चल रही असंतोष की भावना का परिणाम हो सकता है। उनके इस कदम से पार्टी के अंदर चल रही खींचतान और आंतरिक समस्याओं का अंदाजा लगाया जा सकता है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और कार्यकर्ता इस घटनाक्रम से स्तब्ध हैं और पार्टी में अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। कुछ का मानना है कि चंपाई सोरेन के इस कदम से पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है, जबकि अन्य का कहना है कि यह पार्टी के लिए आत्ममंथन का समय है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि चंपाई सोरेन अब किस दिशा में कदम बढ़ाते हैं और उनका यह फैसला राज्य की राजनीति पर क्या असर डालता है। उनके समर्थक और राजनीतिक विश्लेषक इस बात का अंदाजा लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि वह आने वाले दिनों में किस राजनीतिक दल या मंच के साथ जुड़ सकते हैं।