डेस्क:भारत में जल्द ही जनगणना होने जा रही है। मंगलवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी इसके संकेत दे दिए हैं। हालांकि, उन्होंने इस संबंध में तारीख को लेकर स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा है। साथ ही उन्होंने जातिगत जनगणना के मुद्दे पर भी चर्चा की। हाल ही में खबरें आई थीं कि देश में सेंसस की तैयारियां चल रही हैं। साल 2011 के बाद से देश में जनगणना नहीं हुई है।
जातिगत जनगणना को लेकर पूछे गए सवाल पर शाह ने कहा कि जब भी हम जनगणना का ऐलान करेंगे, तब सभी जानकारियां सार्वजनिक कर दी जाएंगी। दरअसल, इससे पहले साल 2021 में जनगणना होना था, लेकिन कोरोनावायरस महामारी के चलते प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी थी। जनगणना का पहला चरण 1 अप्रैल 2020 को शुरू किया जना था, लेकिन इसे टालना पड़ा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्र सरकार ने रविवार को बताया था कि जनगणना की तैयारयां शुरू हो गई हैं और जल्द ही इसे लेकर ऐलान किया जाएगा। टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में सरकार के एक शीर्ष पदाधिकारी ने बताया था, ‘जनगणना कराने पर काम पहले ही जारी है और इस संबंध में जल्द ही फैसला लिया जा सकता है।’ खास बात है कि बीते साल लागू हुआ महिला कोटा भी जनगणना से जुड़ा हुआ है।
पीटीआई भाषा की रिपोर्ट के अनुसार, राजनीतिक दल जाति जनगणना कराने की पुरजोर तरीके से मांग कर रहे हैं। नए आंकड़े नहीं होने के कारण सरकारी एजेंसियां अब भी 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर नीतियां बना रही हैं और सब्सिडी आवंटित कर रही हैं।
अधिकारियों ने बताया कि पूरी जनगणना और एनपीआर प्रक्रिया पर सरकार के 12,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने की संभावना है। यह पहली डिजिटल जनगणना होगी, जिसके जरिए नागरिकों को स्वयं गणना करने का अवसर मिलेगा। इसके लिए जनगणना प्राधिकरण ने एक स्व-गणना पोर्टल तैयार किया है, जिसे अभी लॉन्च नहीं किया गया है। स्व-गणना के दौरान आधार या मोबाइल नंबर अनिवार्य रूप से जुटाया जाएगा।