डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की मुलाकात के बाद अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने बड़े कदम का ऐलान किया है। इसने सोमवार को कहा कि यूएस में कनेक्टेड और ऑटोमैटिक वाहनों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की मांग रखी गई है। खास तौर से चीनी और रूसी सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर से लैस वाहनों पर बैन लगना चाहिए। यह राष्ट्रीय सुरक्षा और अमेरिकी ड्राइवरों की सेफ्टी के लिए जरूरी है। मालूम हो कि बाइडन ने मोदी संग बातचीत में कहा कि यूएस भारत की महत्वपूर्ण आवाज को प्रतिबिंबित करने के लिए वैश्विक संस्थाओं में सुधार की पहल का समर्थन करता है। इसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलाव करके भारत को स्थायी सदस्य बनाने की मांग भी शामिल है।
अमेरिका में वैसे तो चीनी और रूसी सॉफ्टवेयर वाली गाड़ियों कम ही हैं। मगर, हार्डवेयर को लेकर समस्या अधिक जटिल है। इसलिए, वाणिज्य अधिकारियों ने कहा कि सॉफ्टवेयर पर प्रतिबंध 2027 मॉडल ईयर के लिए प्रभावी होगा। हार्डवेयर पर बैन 2030 के मॉडल ईयर या 1 जनवरी, 2029 से बिना मॉडल ईयर वाली यूनिट्स पर होगा। इस तरह यह नियम अमेरिका की सड़कों पर पहले से मौजूद चीनी सॉफ्टवेयर वाली कारों पर लागू नहीं होगा।
‘पर्सनल जानकारियों के लीक होने का खतरा’
एजेंसी की ओर से कहा गया कि सोमवार को घोषित उपाय काफी अहम हैं। खासतौर से यह देखते हुए कि कारों में माइक्रोफोन, कैमरे, जीपीएस ट्रैकिंग और ब्लूटूथ जैसी तकनीक अमेरिकियों को बुरे तत्वों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती हैं। इनके जरिए घर के पते से लेकर व्यक्तिगत जानकारियां तक हासिल की जा सकती हैं। यह भी पता लगाया जा सकता है कि उनके बच्चों का स्कूल कहां है। इसे लेकर अब हमें सतर्क हो जाने की जरूरत है।
‘ऐसा हो सकता है कि सारी गाड़ियां ठप हो जाएं’
अमेरिकी वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो ने कहा कि कुछ चरम स्थितियां भी हमारे सामने आ सकती हैं। जैसे कि विदेशी प्रतिद्वंद्वी अमेरिका में चल रहे कई वाहनों को बंद कर सकता है या एक साथ उन पर अपना नियंत्रण हासिल कर सकता है। ऐसे में दुर्घटनाएं हो सकती हैं और सड़कों पर आवागमन ठप हो सकता है। रायमोंडो ने कहा, ‘ये बातें व्यापार या आर्थिक लाभ को लेकर नहीं हो रही हैं। यह पूरी तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है। फिलहाल अच्छी खबर यह है कि हमारी सड़कों पर ज्यादा चीनी या रूसी कारें नहीं हैं।’