डेस्क। आरबीआई की रिपोर्ट में लगातार कीमतों में हो रही बढ़ोतरी के पीछे मौसम को सबसे अहम कारण माना गया है। रिपोर्ट कहती है कि इस वर्ष पहले भीषण गर्मी पड़ी, जिसके चलते कृषि उत्पादक राज्यों में फसलें बर्बाद हुई। इसका असर सब्जी, दाल और फलों की कीमतों पर पड़ा। उसके बाद देश के कई हिस्सों में असामान्य रूप से बारिश हुई, जिससे फसलों को भारी नुकसान पहुंचा।
ऐसी स्थिति में उत्पादन कम हो रहा है और सप्लाई काफी हद तक प्रभावित हुई। इससे सब्जियों, अनाज और दालों की कीमतों पर ज्यादा असर देखने को मिला, जो अभी तक जारी है। आलू के उत्पादन में वित्तीय वर्ष 2023-23 के मुकबाले वित्तीय वर्ष 2023-24 में पांच फीसदी की कमी देखी गई, क्योंकि बारिश के चलते आलू उत्पादक मुख्य राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में बेमौसम बारिश और भारी ठंड के चलते फसल बर्बाद हुई।
थोक और खुदरा मुद्रास्फीति में जोरदार उछाल
वहीं, फलों की बात करें तो अप्रैल-जून 2024 के बीच कीमतों 6.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, जो अगस्त में बढ़कर 6.5 रही। खाने का सामान महंगा होने से थोक और खुदरा मुद्रास्फीति में जोरदार उछाल आया है। सितंबर माह में खुदरा महंगाई नौ माह के शीर्ष पर पहुंच गई। खाद्य महंगाई भी दोगुना हो गई। वहीं, थोक महंगाई में खाद्य वस्तुएं चार गुना तक महंगी हुई हैं।
सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर में बढ़कर 5.49 पर पहुंच गई। अगस्त में यह 3.65 थी। बीते वर्ष सितंबर में 5.02 पर थी। वहीं, खाद्य वस्तुओं की महंगाई सितंबर 2024 में उछलकर 9.24 प्रतिशत हो गई, जो अगस्त में 5.66 प्रतिशत पर थी।
सब्जियों में तेजी
सबसे ज्यादा सब्जियां महंगी हुई हैं। सितंबर में सब्जियों की महंगाई दर 35.99 पर पहुंच गई, जो अगस्त में 10.71 थी। इसी तरह अनाज, दूध, फल और अंडों की दाम भी बढ़े हैं।
फरीदाबाद 40% तक बढ़ी दालों की कीमत
बीते दस वर्षों में दालों के दामों में 40 तक की बढ़ोतरी हुई है। वहीं छह माह में तीन फीसदी तक का उछाल आया है। आलू, प्याज, टमाटर वित्त वर्ष 2019-20 तक 20 से 30 रुपये किलो तक बिक रहीं थीं। अब दाम 40 से 70 रुपये तक पहुंच गए हैं।