छापर, चूरू (राजस्थान) आस्था, उल्लास, उमंग व उत्साह का चढ़ता पारावार। श्रद्धा-भक्ति का उमड़ता ज्वार और जनमग्न नजर आता जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के अष्टमाचार्य कालूगणी की जन्मधरा छापर। अवसर था लगभग 74 वर्षों बाद तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, अहिंसा यात्रा के प्रणेता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के चातुर्मासिक महामंगल प्रवेश का। वर्षों से इस अवसर की प्रतिक्ष कर रहे श्रद्धालुओं की भावना शनिवार को पूरी होने जा रही थी तो आस्था, श्रद्धा, भक्ति का ऐसे ज्वार का उठना तो स्वाभाविक था। चारों ओर अलग ही वातावरण छाया हुआ था। छापर के प्रवेश द्वार, मार्ग व गलियां तक सजे-धजे-से नजर आ रहे थे। सभी महातपस्वी महाश्रमण के स्वागत को आतुर नजर आ रहे थे।
शनिवार को प्रातः चाड़वास का ‘महाप्रज्ञ भवन’ में सूर्योदय से पहले ही उत्साही श्रद्धालुओं से भर गया था, मानों अब छापरवासियों से कुछ घंटों का समय व्यतित नहीं हो पा रहा था। लगभग 6.50 बजे आचार्यश्री ने चाड़वास से छापर की ओर मंगल विहार किया। आचार्यश्री के पावन चरण के बढ़ते ही बढ़ने लगा, आस्था, श्रद्धा, भक्ति, उल्लास, उत्साह का पारा जो कुछ मिनट के विहार के बाद ही विशाल जुलूस में परिवर्तित होने लगा। गूंजते जयघोष, मंगल वाद्ययंत्रों पर उठती स्वरलहरियां वातावरण को महाश्रमणमय बना रही थीं। श्रद्धालुओं की विराट उपस्थिति से तीन किलोमीटर की दूरी भी मानों छोटी नजर आ रही थी। इस सुअवसर को साक्षात अपनी दृष्टि से निहारने के लिए टकटकी लगाए नयनों को उस समय प्रतिक्षा समाप्त हो जाती जब सामने से मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना संग गुजरते। ऐसे राष्ट्रसंत के दर्शन और आशीष प्राप्त कर लोग धन्य बन रहे थे।
तेरापंथ समाज के सभी संगठनों के अलावा विभिन्न स्कूलों के बच्चे, अनेक सामाजिक संगठनों/संस्थाओं के कार्यकर्ता अपने-अपने गणवेश में सजे इस भव्य व विशाल जुलूस को विराट बना रहे थे। टिक-टिक बढ़ते जा रहे समय के साथ ही आचार्यश्री छापर के निकट से निकटतम होते हुए छापर की मंगल सीमा में प्रवेश किया तो मानों पूरा छापर श्रद्धालुओं की अपार भीड़ से जनमग्न हो उठा और धरती से आसमान तक जय निनादों से गुंजायमान हो उठा। भव्य स्वागत जुलूस के मध्य पंक्तिबद्ध चारित्रात्मओं के साथ गति कर रहे आचार्यश्री महाश्रमणजी निर्धारित समय से कुछ मिनट पूर्व ही चतुर्मास प्रवास हेतु नवनिर्मित ‘आचार्य कालू महाश्रमण भवन’ के मुख्य द्वार पर पधारे। घड़ी ने जैसे ही 8.21 बजने का इशारा किया युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी धवल सेना संग इस नवीन भवन में वर्ष 2022 के चतुर्मास हेतु मंगल प्रवेश किया। इसके साथ ही छापरवासियों की 74 वर्षों की प्रतिक्षा फलीभूत हो गई।
भवन के सन्निकट बने भव्य प्रवचन पंडाल में उपस्थित जनमेदिनी को युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने प्रथम मंगल पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि दुनिया में मंगल की आकांक्षा की जाती है। आदमी दूसरों के प्रति भी मंगलकामना करता है और अपने लिए भी मंगल की इच्छा रखता है। मंगल के लिए आदमी कई तरह का उपचार भी करते हैं। कोई शुभ मुहूर्त देखना, मंगल मंत्रों का श्रवण, उच्चारण, मंगल दर्शन करना आदि अनेक रूपों में मंगल की बात होती है। ये सारी चीजें निमित्त हैं। शास्त्रों में धर्म को सर्वोत्कृष्ट मंगल बताया गया है। अहिंसा, संयम और तप ही धर्म है। अहिंसा शाश्वत धर्म है।
आचार्यश्री ने छापर चतुर्मास प्रवेश के संदर्भ में कहा कि आज विक्रम संवत् 2079 के लिए परम पूज्य कालूगणी की जन्मधरा पर चातुर्मासिक मंगल प्रवेश किया है। चतुर्मास का समय कार्य करने की दृष्टि से अच्छा होता है। विक्रम संवत् 2005 के बाद अभी चतुर्मास होने जा रहा है। छापर का यह चतुर्मास अध्यात्ममय हो। आपसी सौहार्द, मैत्री का व्यवहार हो, सबकी चेतना अध्यात्म की दिशा में गति करती रहे।
आचार्यश्री की प्रथम मंगलवाणी का श्रवण करने के उपरान्त छापर चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री माणकचंद नाहटा, स्वागताध्यक्ष श्री रतन बैद, तेरापंथी महासभा के महामंत्री श्री विनोद बैद, स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री विजयसिंह सेठिया व अणुव्रत समिति के अध्यक्ष श्री प्रदीप सुराणा ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल व कन्या मण्डल, तथा तेरापंथ युवक परिषद के सदस्यों ने पृथक्-पृथक् स्वागत गीत का संगान किया।
आचार्यश्री के स्वागत व कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित सुजानगढ़ विधानसभा के विधायक श्री मनोज मेघवाल, रतनगढ़ विधानसभा के विधायक श्री अभिनेष महर्षि, कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष श्री भंवरलाल पुजारी, छापर नगरपालिका के चेयरमेन श्री श्रवण माली व सुजानगढ़ नगर निगम मेयर निलोफर गौरी ने भी अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी और आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया।