नई दिल्ली:अब छात्र तीन और चार वर्षीय डिग्री कोर्स समय से पहले पूरा कर सकेंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) जल्द ही छात्रों को तय समयावधि से पहले अपना डिग्री कोर्स पूरा करने की इजाजत देगा। यूजीसी अध्यक्ष ने गुरुवार को यह जानकारी दी। यूजीसी छात्रों को अपनी तीन वर्षीय डिग्री को एक साल आगे बढ़ाने का ऑप्शन भी देगा। इसके अलावा पूरे कोर्स के दौरान कई एंट्री और एग्जिट का प्रावधान किया जाएगा।
यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने चेन्नई में कहा कि जो छात्र दूसरों की तुलना में अपनी डिग्री जल्दी पूरी कर सकते हैं, उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी जाएगी। कुमार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने को लेकर स्वायत्त कॉलेजों के लिए साउदर्न जोन कॉन्फ्रेंस के अवसर पर संवाददाताओं से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा, “हम इसे अगले शैक्षणिक सत्र 2025-26 से लागू करने की योजना बना रहे हैं। जल्द ही इस संबंध में दिशानिर्देश जारी किए जाने चाहिए।’
यूजीसी अध्यक्ष ने कहा, ‘आने वाले वर्षों में, जो छात्र सक्षम हैं, वे कम अवधि में डिग्री कोर्स पूरा कर सकते हैं। स्टूडेंट्स छह महीने से एक साल तक के समय का फायदा ले सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि नई योजना उन छात्रों के लिए भी फायदेमंद है जो अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए अधिक समय लेना चाहते हैं। ये छात्र अपने कोर्स के दौरान ब्रेक ले सकेंगे। यह योजना आईआईटी मद्रास के निदेशक वी कामकोटि के नेतृत्व वाली समिति की सिफारिशों पर आधारित है। कुमार ने कहा कि इन नए नियमों को लेकर विस्तृत दिशानिर्देश जल्द ही जारी किए जाएंगे।
शिक्षाविदों ने उठाया सवाल
हालांकि इस प्रस्ताव ने कुछ शिक्षाविदों के बीच चिंता पैदा कर दी है। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और दिल्ली विश्वविद्यालय की स्थायी समिति के सदस्य मिथुराज धुसिया ने इस कदम की आलोचना करते हुए तर्क दिया कि इस फैसले से मुख्य कोर्स के सिलेबस में कटौती हो सकती है। धुसिया ने कहा, ‘कोर्स की मुख्य अध्ययन सामग्री पहले ही कम हो चुकी है और यूजीसी सिर्फ चार साल, तीन साल, 2.5 साल के विचार के साथ खेल रहा है।’
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में विश्वविद्यालयों से चार साल का यूजी कोर्स कराने के लिए कहा गया है। जिस स्टूडेंट को चौथे वर्ष में शोध करना है तो वह इसे चुन सकता है। किसी छात्र को ऑनर्स डिग्री का टैग तभी मिलेगा जब वह चौथे वर्ष का ऑप्शन चुनेगा।
4 साल के कोर्स की फिर जरूरत क्यों
डीयू की प्रोफेसर आभा देव हबीब ने कहा, ‘किसी भी डिग्री कोर्स के पाठ्यक्रमों को गहराई के साथ छात्रों के लिए डिजाइन किया गया है ताकि उन्हें अपनी फील्ड की व्यापक समझ मिल सके। इन कोर्सेज को छोटा करने से इसका अकादमिक स्तर कमतर हो सकता है। अगर तीन साल में ऑनर्स डिग्री देना मकसद है तो कोई व्यक्ति पहले स्थान पर 4-वर्षीय कोर्स की आवश्यकता पर सवाल उठा सकता है। नई योजना बताती है कि चौथे वर्ष में अधिकांश सामग्री आवश्यक नहीं है।
रोजगार का संकट पैदा होगा
उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा यह योजना जाने अनजाने में रोजगार का संकट और बढ़ाएगी। छात्रों को बिना आवश्यक शैक्षणिक तैयारी के जॉब मार्केट में भेजा जाएगा। उनकी डिग्री की वेल्यू घट सकती है।’