नई दिल्ली:भारत ने रूस से रियायती दरों पर कच्चा तेल खरीदने से इनकार नहीं किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि कई यूरोपीय देश अभी भी रूस से एनर्जी आयात कर रहे हैं। अमेरिका और उसके सहयोगियों की ओर मॉस्को पर लगाए गए प्रतिबंधों से रूसी अर्थव्यवस्था पर कड़ी चोट लगी है। यूक्रेन पर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आक्रमण की वजह से ये पाबंदियां लगाई गई हैं। ऐसे समय में मॉस्को ने कथित तौर पर नई दिल्ली को छूट पर कच्चे तेल और अन्य वस्तुओं की पेशकश की है।
पश्चिम पुतिन को अलग-थलग करना चाहता है। अमेरिकी अधिकारियों ने सैन्य हार्डवेयर के लिए रूस पर भारत की निर्भरता को स्वीकार किया है, लेकिन कहा कि वे नई दिल्ली को मॉस्को से खुद को दूर करते हुए देखना चाहेंगे। बागची से उन रिपोर्ट्स के बारे में पूछा गया कि क्या भारत ने रियायती दरों पर कच्चे तेल की रूसी पेशकश स्वीकार की है? इस पर उन्होंने कहा, “भारत अपनी अधिकांश तेल जरूरतों का आयात करता है… इसलिए हम हमेशा वैश्विक ऊर्जा बाजारों में सभी संभावनाएं तलाश रहे हैं क्योंकि इस स्थिति से हमें अपनी तेल आवश्यकताओं के आयात का सामना करना पड़ रहा है।”
‘ऊर्जा जरूरतों के लिए सभी विकल्पों पर विचार जारी’
बागची ने कहा कि रूस, भारत को तेल की आपूर्ति करने वाला प्रमुख आपूर्तिकर्ता नहीं रहा है। उन्होंने कहा, “मैं बताना चाहता हूं कि कई देश कर रहे हैं, खासतौर पर यूरोप में और इस समय मैं इसे उसपर छोड़ता हूं। हम प्रमुख तेल आयातक हैं और हम इस मौके पर अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।”
पश्चिमी देशों के प्रतिबंध का भारत-रूस कारोबार पर कितना असर पड़ेगा?
बागची से जब पूछा गया कि यह खरीददारी रुपए-रूबल समझौते के आधार पर हो सकता है तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस पेशकश की विस्तृत जानकारी नहीं है। रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों के प्रतिबंध के भारत-रूस कारोबार पर पड़ने वाले असर के अन्य सवाल के जवाब में बागची ने कहा कि भारत इंतजार करेगा। उन्होंने कहा कि हम किसी भी एकतरफा प्रतिबंध का उसका हमारे रूस के साथ आर्थिक लेनदेन पर पड़ने वाले असर के आंकलन का इंतजार करेंगे।