नई दिल्ली:अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अपनी रिपोर्ट में नरेंद्र मोदी सरकार की खाद्य सुरक्षा योजना यानी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) की सराहना की है। उसने कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान इस योजना ने अत्यधिक गरीबी में वृद्धि को टाल दिया। आईएमएफ के एक नए पेपर में पाया गया कि 2019 में भारत में अत्यधिक गरीबी (पीपीपी 1.9 डॉलर प्रति व्यक्ति प्रति दिन) एक प्रतिशत से कम है। यह 2020 के दौरान भी उस स्तर पर बनी रही।
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खाद्य सुरक्षा योजना यानी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना भारत में अत्यधिक गरीबी के स्तर में किसी भी वृद्धि को रोकने में महत्वपूर्ण रही है।
आपको बता दें कि आईएमएफ की इस नई रिपोर्ट में पहली बार गरीबी और असमानता पर खाद्य सब्सिडी का प्रभाव शामिल है। महामारी से पहले का वर्ष यानी 2019 में अत्यधिक गरीबी 0.8 प्रतिशत जितनी कम थी। गरीबों के लिए खाद्य सुरक्षा यह सुनिश्चित करने में सहायक थे कि यह महामारी वाले साली यानी 2020 में उस निम्न स्तर पर बना रहे। लगातार दो वर्षों में अत्यधिक गरीबी का निम्न स्तर को अत्यधिक गरीबी का उन्मूलन माना जा सकता है।
आईएमएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएमजीकेएवाई भारत में अत्यधिक गरीबी के स्तर में किसी भी वृद्धि को रोकने के लिए महत्वपूर्ण था। यह गरीबों पर COVID-19 के कारण कम हुई आय के झटके को कम करने के मामले में काफी हद तक काम किया। आपको बता दें कि इस बीच पीएम मोदी ने सितंबर 2022 तक पीएमजीकेएवाई के विस्तार की घोषणा की है। पीएमजीकेएवाई के तहत जरूरतमंद लोगों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है।
देश में COVID-19 महामारी के बीच मार्च 2020 में इस योजना की शुरुआत की गई थी। इसे पिछले साल नवंबर में मार्च 2022 तक चार महीने (दिसंबर 2021 से मार्च 2022) के लिए बढ़ा दिया गया था। इस योजना के तहत प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम खाद्यान्न मुफ्त उपलब्ध कराया जाता है।
सरकार ने मार्च 2020 में लगभग 80 करोड़ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के लाभार्थियों को अतिरिक्त मुफ्त खाद्यान्न (चावल / गेहूं) के वितरण की घोषणा की थी। आईएमएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी का झटका काफी हद तक एक अस्थायी आय झटका है।