नई दिल्ली:राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले करौली हिंसा और 300 साल पुराने मंदिर पर बुलडोजर ने अशोक गहलोत सरकार की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। विपक्ष ने औरंगजेब तक से तुलना कर दी है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 300 साल पुराने शिव मंदिर को तोड़े जाने की जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति का भी गठन किया है।
आपको बता दें कि राजस्थान के अलवर जिले के सराय मोहल्ला में मंदिर को तोड़ा गया। सीकर सांसद स्वामी सुमेधानंद की अध्यक्षता में गठित भाजपा कमेटी तीन दिनों में राजगढ़ का दौरा कर तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार कर राजस्थान भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया को सौंपेगी। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबुक, भाजपा नेता संजय नरुका ने कहा, “समिति में चंद्रकांता मेघवाल, राजेंद्र सिंह शेखावत, ब्रज किशोर उपाध्याय और भवानी मीणा शामिल हैं।”
गुरुवार को ट्विटर पर घटना का एक वीडियो साझा करते हुए भाजपा नेता अमित मालवीय ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “करौली और जहांगीरपुरी पर आंसू बहाना और हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंचाना-यह कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता है।” एक अन्य ट्वीट में अमित मालवीय ने आरोप लगाया, ’18 अप्रैल को बिना कोई नोटिस जारी किए प्रशासन ने राजस्थान के राजगढ़ कस्बे में 85 हिंदुओं के पक्के घरों और दुकानों पर बुलडोजर चलाए।”
बीजेपी नेता शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर राजस्थान में मंदिर गिराए जाने पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के लिए “दंगाइयों के खिलाफ बुलडोजर = सांप्रदायिक, हिंदू धर्म पर बुलडोजर = धर्मनिरपेक्ष।”
औरंगजेब से की तुलना
भाजपा सांसद किरोड़ी मीणा ने कहा कि गहलोत सरकार ने औरंगजेब की तरह ही एक पुराने मंदिर को बेरहमी से तोड़ा। बीजेपी सांसद राजगढ़ में थाने के बाहर धरने पर बैठे हैं। मीणा ने कहा, “कांग्रेस तुष्टीकरण की मानसिकता रखती है और शुरू से ही ऐसा करती रही है।”
कांग्रेस ने भी भाजपा पर लगाया आरोप
राजस्थान कांग्रेस प्रमुख जीएस डोटासरा ने आरोप लगाया कि राज्य में पिछली भाजपा सरकार के दौरान मंदिर हटाने का काम शुरू हो गया था। उन्होंने कहा, ‘बीजेपी सरकार के पिछले शासन के दौरान अलवर मंदिर का अतिक्रमण शुरू हुआ। यह कहना कि कांग्रेस मंदिरों और मूर्तियों में खलल डालती है, गलत है। यह हमेशा से भाजपा का एजेंडा रहा है। चुनाव आते ही वे राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक अशांति फैलाते हैं।”
उन्होंने कहा, “किसी भी कलेक्टर से नहीं पूछा गया था या अनुमति नहीं दी गई थी। नगरपालिका बोर्ड ने अपने अध्यक्ष के आदेश के बाद निर्णय लिया। सरकार ने तत्काल कार्रवाई की है। हमने प्रतिबंध लगाए हैं। हमने मूर्तियों को वापस रखने का आदेश दिया है।”
मंदिर विध्वंस पर अलवर डीएम
अलवर के जिलाधिकारी के मुताबिक, मंदिर को गिराने का फैसला आम सहमति बनने के बाद लिया गया। उन्होंने कहा कि सभी अतिचारियों को व्यक्तिगत रूप से 6 अप्रैल को नोटिस दिया गया था और अतिक्रमण विरोधी अभियान से दो दिन पहले एक घोषणा की गई थी। अतिक्रमण विरोधी अभियान 17 अप्रैल और 18 अप्रैल को चलाया गया था। डीएम ने कहा कि कोई कानूनी ढांचा नहीं तोड़ा गया और विध्वंस अभियान के दौरान कोई विरोध नहीं हुआ।