कोलकाता:कलकत्ता हाई कोर्ट के कुछ वकीलों ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और उनके उस बयान पर स्वत: संज्ञान लेने की गुहार लगाई है, जिसमें कथित तौर पर दावा किया गया है कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि हाई कोर्ट बिक चुका है। दावा किया गया है कि ममता बनर्जी ने कथित तौर पर यह बयान तब दिया है, जब कलकत्ता हाईकोर्ट ने शिक्षक भर्ती घोटाला केस में रिश्वत लेकर बहाल किए गए करीब 24000 शिक्षकों की नियुक्ति रद्द कर दी।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सीनियर वकील और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPIM) नेता विकास रंजन भट्टाचार्य ने आज मुख्य न्यायाधीश जस्टिस टीएस शिवगणनम और जस्टिस हिरण्मय भट्टाचार्य की बेंच के सामने इस मुद्दे को उठाया और मुख्यमंत्री के खिलाफ उनके अवमाननापूर्ण बयानों पर सख्त कार्रवाई करने का आग्रह किया। भट्टाचार्य ने अदालत से कहा कि मुख्यमंत्री बार-बार ऐसे अवमाननापूर्ण बयान दे रही हैं, ताकि आम जनता की नजरों में अदालत की अहमियत कम हो जाय।
उन्होंने बेंच से कहा, “अदालत से मेरी गुजारिश है कि इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया जाए। जब तक कोर्ट इस मामले में सख्त नहीं हो जाता… मैं इस पर आपराधिक अवमानना याचिका दायर कर सकता हूं लेकिन इसके लिए मुझे पहले महाधिवक्ता से इजाजत लेनी होगी, जो किसी भी कीमत पर नहीं मिल सकेगी। इसलिए, मैं एक हलफनामा दायर कर सकता हूँ कि ये कथन हैं, लेकिन कृपया इस पर संज्ञान लें।”
भट्टाचार्य ने आगे कहा, “मीलॉर्ड, हर अदालत हम पर हंस रही है- ये क्या हो रहा है! कहा जा रहा है कि हाई कोर्ट को खरीद लिया गया है। हम आधी रात तक मेहनत करके माननीय न्यायालय के समक्ष मामले को रखते हैं…और कोई भी यह आरोप कैसे लगा सकता है कि हाई कोर्ट के जज और पूरा हाई कोर्ट ही बिक गया है!”
इस पर बेंच ने पूछा कि क्या इस मामले में कोई याचिका दायर की जा सकती है, ताकि मामले को रिकॉर्ड पर दर्ज किया जा सके। तब भट्टाचार्य ने कहा कि वे मुख्यमंत्री की टिप्पणियों पर रिपोर्ट के साथ एक हलफनामा दायर करेंगे। वरिष्ठ वकील ने ये भी कहा कि वो आज दोपहर 2 बजे तक इस काम को पूरा कर लेंगे ताकि अदालत इस मामले पर फिर से विचार कर सके।
तभी अदालत में मौजूद एक अन्य वकील ने कहा कि वे भी एक याचिका तैयार कर रहे हैं। बेंच ने कहा कि वह याचिका भी दायर की जा सकती है। बता दें कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने पिछले दिनों शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में 2016 में बहाल हुए करीब 24000 शिक्षकों की नौकरी खत्म कर दी थी और उन सभी को पिछले आठ साल का वेतन लौटाने का निर्देश दिया था। ममता बनर्जी ने इस फैसले की आलोचना की थी और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है।