मुंबई। लोकसभा चुनाव 2024 में खराब नतीजों के चलते महाराष्ट्र में भाजपा और अजित पवार की एनसीपी के बीच रार मची हुई है। आरएसएस के नेता रतन शारदा के लेख के बाद भाजपा के कुछ विधायकों ने भी सवाल उठाए थे कि अजित पवार गुट को साथ लेने से नतीजे खराब आए हैं। इसके चलते वह सत्ताधारी गठबंधन में अलग-थलग चल रहे हैं। इस बीच दिलचस्प बात यह हुई है कि शरद पवार गुट ने उनका समर्थन किया है, जिसे वह छोड़कर आए हैं और अब एकनाथ शिंदे और भाजपा सरकार का हिस्सा हैं। शरद पवार गुट ने उनका पक्ष लेते हुए कहा कि भाजपा अजित पवार को बलि का बकरा बना रही है।
महाराष्ट्र की राजनीति में यूं कुछ ही महीने में बने हुए रिश्ते बिगड़ते दिख रहे हैं और बिगड़े संबंध अब सुधार की ओर लग रहे हैं। अब तक अजित पवार के आलोचक रहे रोहित पवार ने भी उनका बचाव किया है। शरद पवार के पोते ने एक्स पर लिखा है कि भाजपा की हार के लिए अजित पवार जिम्मेदार नहीं हैं। विधायक रोहित पवार ने कहा कि अजित पवार को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। भाजपा राज्य में त्रिकोणीय लड़ाई बनाने की कोशिश कर रही है। भाजपा नेताओं का मानना है कि ऐसी लड़ाई होगी तो फायदा होगा।
शरद पवार गुट ने बताया- क्यों भाजपा ही बनी हार की वजह
उनके अलावा शरद पवार गुट के सीनियर नेता जितेंद्र अव्हाड ने भी ऐसी ही बात कही है। उन्होंने कहा कि एनडीए के खराब प्रदर्शन के लिए भाजपा नेता खुद जिम्मेदार हैं। उन्होंने संविधान बदलने का मुद्दा उठाया था। इससे दलितों और अन्य समुदायों में डर पैदा हो गया। भाजपा ने अल्पसंख्यक समुदाय पर भी निशाना साधा। यह देखते हुए कि दलित और अल्पसंख्यक समुदाय भाजपा के खिलाफ एकजुट हैं। फिर भी वह अपने स्टैंड से पीछे नहीं हटे और अंत में नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि भाजपा के नुकसान में अजित पवार ने तो पूरक की भूमिका अदा की।
अजित पवार गुट भी दे चुका है अलग रास्ते जाने की धमकी
बता दें कि भाजपा और आरएसएस के एक धड़े का कहना था कि अजित पवार को साथ लेने से चीजें बिगड़ी हैं। संघ से जुड़ी पत्रिका ऑर्गनाइजर में छपे लेख के बाद तो भाजपा और फिर एकनाथ शिंदे गुट ने भी अजित पवार खेमे पर हमला बोलना शुरू कर दिया। हालांकि अजित पवार गुट भी पीछे नहीं रहा। उनके विधायक अमोल मिटकारी ने तो भाजपा को साफ चेतावनी दी थी कि यदि अजित पवार को निशाना बंद नहीं किया तो हम अलग स्टैंड लेने पर भी विचार कर सकते हैं। वहीं पुणे में एनसीपी नेता रूपाली पटल ने एनडीए की विफलता का ठीकरा भाजपा नेताओं पर फोड़ा।