ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने के बाद युद्ध प्रभावित पश्चिम एशियाई क्षेत्र फिलिस्तीन के पक्ष में नारे लगाए। हालांकि सभापति ने इसे रिकॉर्ड से हटाने का निर्देश दिया है लेकिन सत्ता पक्ष के सदस्य ओवैसी के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि क्या ओवैसी ने संसद सदस्य के रूप में नियमों का उल्लंघन किया या नहीं?
दरअसल सांसद चुने जाने के लिए सबसे पहला नियम है कि आपको भारत का नागरिक होना चाहिए। इसके साथ ही शपथ में भी साफ-साफ स्पष्ट है कि बतौर सांसद वह व्यक्ति ‘विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखेगा।’ ऐसे में ओवैसी ने संसद में शपथ लेते वक्त एक दूसरे देश के पक्ष में नारे लगाए, जोकि संसद नियमों का उल्लंघन हो सकता है। मौजूदा नियमों के अनुसार, असदुद्दीन ओवैसी को किसी दूसरे देश, अर्थात फिलिस्तीन के प्रति निष्ठा दिखाने पर, उनकी लोकसभा सदस्यता से अयोग्य ठहराया जा सकता है।
क्या कहते हैं अयोग्यता से जुड़े नियम?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102 के तहत सांसद की अयोग्यता के प्रावधान हैं।
1. अगर कोई सांसद भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के लाभ के पद पर आसीन पाया जाता है तो संसद में उसकी सदस्यता को अयोग्य करार दिया जा सकता है।
2. अगर उसकी दिमागी स्थिति सही नहीं हो और कोर्ट ने उसे दिमागी तौर पर अनफिट करार दे दिया हो।
3. अगर वह घोषित दीवालिया हो (ऐसा व्यक्ति जो अपने कर्ज नहीं चुका सकता है, और जब तक वह उस स्थिति में रहता है, तो उसे दिवालिया माना जाएगा)
4. यदि वह भारत का नागरिक नहीं है, या उसने स्वेच्छा से किसी दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त कर ली है, या किसी दूसरे देश के प्रति निष्ठा या लगाव रखता रखता है।
5. अगर वह संसद द्वारान बनाए किसी कानून के तरह अयोग्य ठहराया गया हो।
यहां चौथे पॉइंट में साफ दर्ज है कि अगर कोई व्यक्ति भारत के अलावा, किसी दूसरे देश के प्रति निष्ठा रखता है तो उसे संसद की सदस्यता से अयोग्य ठहराया जा सकता है।
क्या बोली सरकार?
भाजपा के एक पदाधिकारी ने मंगलवार को दावा किया कि हैदराबाद के सांसद को “एक विदेशी देश के प्रति निष्ठा दिखाने” के लिए लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराया जा सकता है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि उन्हें कुछ सदस्यों से फिलिस्तीन के जिक्र को लेकर शिकायतें मिली हैं। उन्होंने कहा कि वे टिप्पणियों के संबंध में नियमों की जांच करेंगे। रिजिजू ने कहा, “फिलिस्तीन या किसी अन्य देश के साथ हमारी कोई दुश्मनी नहीं है। एकमात्र मुद्दा यह है कि शपथ लेते समय क्या किसी सदस्य के लिए किसी अन्य देश की प्रशंसा करते हुए नारा लगाना उचित है? हमें नियमों की जांच करनी होगी। कुछ सदस्य मेरे पास आए हैं और शपथ के अंत में फिलिस्तीन के नारे लगाने के बारे में शिकायत की है।”
भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने संविधान के अनुच्छेद 102 का एक अंश पोस्ट किया, जो संसद सदस्य के रूप में अयोग्यता के आधार निर्धारित करता है। उन्होंने कहा, “मौजूदा नियमों के अनुसार, असदुद्दीन ओवैसी को एक विदेशी राज्य, यानी फिलिस्तीन के प्रति निष्ठा दिखाने के लिए उनकी लोकसभा सदस्यता से अयोग्य ठहराया जा सकता है।”
शपथ लेते हुए क्या बोले थे ओवैसी?
हैदराबाद से पांचवीं बार सदस्य निर्वाचित हुए ओवैसी ने उर्दू में शपथ ली। शपथ लेने से पहले उन्होंने दुआ पढ़ी। अपनी शपथ के बाद उन्होंने मुस्लिमों के लिए एआईएमआईएम का नारा बुलंद करने के अलावा अपने राज्य तेलंगाना, बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के पक्ष में नारा लगाया। ओवैसी ने फिलिस्तीन के पक्ष में भी नारा लगाते हुए ‘जय फिलिस्तीन’ कहा। फिलिस्तीन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा के केंद्रबिंदु में है। उनकी शपथ के बाद सत्ता पक्ष के कुछ सदस्यों ने आपत्ति जताई, जिससे सदन में हंगामा शुरू हो गया।
पीठ पर आसीन राधामोहन सिंह ने सदस्यों को आश्वासन दिया कि शपथ के अलावा कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं जाएगा। कुछ मिनट तक हंगामा जारी रहा, जिसके बाद शपथ ग्रहण दोबारा शुरू हुआ। इसके बाद आसन पर लौटे प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब ने कहा कि केवल शपथ का मूल पाठ ही रिकॉर्ड में दर्ज किया जा रहा है। महताब ने कहा, ‘‘मैंने पहले भी कहा है कि कृपया शपथ के मूलपाठ के अलावा किसी और चीज का जिक्र करने से बचें। इसका पालन किया जाना चाहिए।’’
बचाव में क्या बोले ओवैसी?
संसद से बाहर संवाददाताओं से बात करते हुए, ओवैसी ने कहा कि उन्होंने सदन के भीतर ‘‘जय फलस्तीन’’ कहा है। उनका कहना था, ‘‘अन्य सदस्य भी अलग-अलग बातें कह रहे हैं… मैंने कहा ‘जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना, जय फलस्तीन’। यह कैसे गलत है? मुझे संविधान के प्रावधान बताएं? आपको दूसरों की बात भी सुननी चाहिए…पढ़िए कि महात्मा गांधी ने फलस्तीन के बारे में क्या कहा था।’’ यह पूछे जाने पर कि उन्होंने फलस्तीन का उल्लेख क्यों किया, ओवैसी ने कहा, ‘‘वे उत्पीड़ित लोग हैं।’’