गढ़वा:झारखंड के गढ़वा में विजयादशमी के दिन शनिवार को मूर्ति विसर्जन के दौरान जमकर बवाल हुआ। एक रास्ते से मूर्ति ले जाने का विरोध किया गया। दो समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए। पथराव भी हुआ। हिंसा में चार लोग जख्मी हो गए, जिसमें दो गंभीर रूप से घायल हुए। करीब 12 घंटे तक हंगामे के बाद मूर्ति का विसर्जन रास्ता बदलकर दूसरे तालाब में किया गया। इसके साथ ही ‘धर्म की एक दीवार’ भी खड़ी कर दी गई। समझौता हुआ कि दुर्गा पूजा में मूर्ति मुस्लिम बहुल बस्ती से नहीं लाई जाएगी और मुहर्रम का जुलूस हिंदुओं के इलाके से नहीं निकलेगा।
सदर थानाक्षेत्र के गांव लखना में धूमधाम से दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया था। शनिवार को विसर्जन होना था। तीन बजे ट्रैक्टर पर मूर्ति को रखकर पूरे गांव का भ्रमण करते हुए विसर्जन के लिए ले जाया जा रहा था। उसी दौरान गांव के तीन मुहान के पास से जाने वाली सड़क में एक पक्ष के द्वारा मूर्ति को आगे ले जाने से रोक दिया गया। उक्त पक्ष का कहना था कि उस रास्ते से कभी भी मूर्ति का विसर्जन नहीं किया गया है। उक्त कारण वे लोग उस रास्ते से मूर्ति नहीं ले जाने देंगे। वहीं दूसरे पक्ष का कहना था कि गांव में सरकारी पैसे से सड़क का निर्माण हुआ। उसपर सभी धर्म और समुदाय को आवागमन करने का अधिकार है। ऐसे में वे लोग उसी सड़क के जरिए मूर्ति का विसर्जन करेंगे। इसी बात पर दोनों पक्षों में विवाद बढ़ गया।
विवाद की सूचना के बाद एसडीओ संजय कुमार, एसडीपीओ नीरज कुमार, थाना प्रभारी ध्रुव कुमार सहित अन्य अधिकारियों ने गांव पहुंचकर दोनों समुदाय से विवाद सलटाने का प्रयास किया। उसपर दोनों पक्ष अपनी-अपनी बात पर अड़े रहे। एक पक्ष के द्वारा गांव के सड़क को ट्रैक्टर, बांस, बल्ली से अवरूद्ध कर दिया गया था ताकि दूसरे पक्ष के लोग उस रास्ते मूर्ति नहीं जा सके। इस दौरान वहां पथराव भी किया गया, जिसमें कम से कम चार लोग घायल हो गए। दो घायलों को बेहतर इलाज के लिए रांची भेजना पड़ा।
धर्म की दीवार बनाकर हुआ समझौता
दो पक्षों में हुए विवाद की सूचना के बाद डीसी शेखर जमुआर, एसपी दीपक पांडेय और पूर्व विधायक सत्येंद्रनाथ तिवारी गांव पहुंचकर आपसी साहौर्द को कायम रखते हुए शांति व्यवस्था बहाल करते हुए दोनों ओर से सहमति बनाने की अपील की लेकिन दोनों पक्ष के लोग अपनी मांग पर अड़े रहे। उसके बाद पूर्व विधायक ने दोनों समुदाय की ओर से पांच-पांच सदस्यों को अपना बतौर प्रतिनिधि चुनकर सहमति बनाने की अपील की। दोनों पक्षों की ओर से चुने गए पांच-पांच लोगों की अलग से बैठक हुई। बैठक में सहमति बनी कि मूर्ति विसर्जन और मुहर्रम में निकलने वाला जुलूस में दोनों पक्ष के लोग अपने-अपने रास्ता से होकर निकालेंगे। दोनों पक्ष के लोग अपना-अपना त्योहार में किसी भी दूसरे समुदाय के घर होकर जुलूस नहीं निकालेंगे। उसके बाद अहले सुबह करीब तीन बजे मां दुर्गा का विसर्जन करूआ कला गांव स्थित तालाब में किया गया। उस दौरान पुलिस और जिला प्रशासन के सभी आलाधिकारी और भारी संख्या में पुलिस बलों की मौजूदगी रही। पूरा गांव पुलिस छावनी में तब्दील रहा। रविवार को भी प्रशासन की ओर से गांव में पुलिस बल की तैनाती एहतियातन की गई थी।
गढ़वा अनुमंडल में धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू
सदर अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार ने अनुमंडल क्षेत्र के लखना गांव में धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दिया है। आशंका जतायी गई है कि अप्रत्याशित तनाव के मद्देनजर आस-पास के इलाकों में अभी भी शांति भंग होने की प्रबल संभावना है। उसे देखते हुए एहतियातन उक्त अच्छादित क्षेत्र का विस्तार करते हुए सदर प्रखंड के पंचायत रंका बौलिया, तिलदाग, पिपरा, करुआ कलां के अलावा डंडा प्रखंड के डंडा गांव में भी धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा अगले आदेश तक लगाया गया है। उसके तहत एक साथ पांच या पांच से अधिक लोगों के घूमने पर रोक लगाने के अलावा किसी भी प्रकार के हरवे हथियार लेकर निकलना या चलना वर्जित किया गया है। साथ ही कहा गया है कि यह निषेधाज्ञा शव यात्रा में शामिल व्यक्तियों, विद्यालय / महाविद्यालयों में जाने वाले छात्र-छात्राओं, परीक्षा में शामिल होने वाले परीक्षार्थियों पर लागू नहीं होगा । निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।