रांची: हेमंत सोरेन सरकार कैबिनेट की बैठक सोमवार को रांची में हुई। इसमें कई बड़े प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। कैबिनेट ने झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना की राशि को 1000 रुपए से बढ़ाकर 2500 रुपए करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की। बताया जाता है कि आने वाले दिसंबर महीने से लाभार्थी महिलाओं को 2500 रुपए के हिसाब से आर्थिक मदद सीधे उनके खाते में भेजी जाएगी। इस तरह साल में 30 हजार रुपए की आर्थिक मदद महिला लाभार्थियों को दी जाएगी।
सालाना 9000 करोड़ रुपये का बोझ
बताया जाता है कि इससे राज्य सरकार के खजाने पर सालाना 9000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। कैबिनेट के फैसले पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि मंईया सम्मान और सशक्त हुई है। वहीं नगर विकास मंत्री हफीजुल हसन ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जो कहते है, वो करते हैं। कैबिनेट बैठक में मइयां सम्मान योजना के तहत माताएं-बहनों को हर महीने 1000 रुपये दी जाने वाली सम्मान राशि को 2500 रुपये भुगतान करने की सहमति बनी है।
62 हजार पारा शिक्षकों को मिला ईपीएफ का तोहफा
झारखंड के 62 हजार पारा शिक्षकों (सहायक अध्यापकों) को ईपीएफ का तोहफा मिल गया है। राज्य कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दे दी है। अब पारा शिक्षकों के मानदेय से हर महीने 1800 रुपये ईपीएफ में कटेंगे, वहीं राज्य सरकार अपनी ओर से 1950 रुपये अलग से देगी। राज्य सरकार ने सभी टेट पास, प्रशिक्षित और अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों के 15000 मानदेय के बेस पर ईपीएफ की कटौती होगी।
मानदेय में 1000 रुपये की बढ़ोतरी
पारा शिक्षकों के मानदेय से 12 प्रतिशत, जबकि सरकार मद से 13 प्रतिशत ईपीएफ में भुगतान होगा। 28 अगस्त को झारखंड सहायक अध्यापक संघर्ष मोर्चा की शिक्षा मंत्री वैद्यानाथ राम के साथ हुई वार्ता में ईपीएफ और 1000 रुपये मानदेय में बढ़ोतरी की सहमति बनी थी। फिलहाल मानदेय में बढ़ोतरी नहीं हो सकी है। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद् के कार्यकारिणी की बैठक में इस पर निर्णय लिया जाएगा और मानदेय में 1000 रुपये की बढ़ोतरी की जाएगी।
बाल्मिकी छात्रवृत्ति योजना शुरू करेगी सरकार
इसके साथ ही अनाथ एवं दिव्यांग विद्यार्थियों के उच्च शिक्षा के लिए राज्य सरकार बाल्मिकी छात्रवृत्ति योजना शुरू करेगी। इस संबंध में भी प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। असम समेत अन्य चाय बगान राज्यों में काम कर रहे आदिवासियों की समस्याओं के लिए आदिवासी कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक प्रतिनिधि मंडल का गठन होगा। यह प्रतिनिधि मंडल संबंधित राज्यों को दौरा कर ऐसे आदिवासियों की सामाजिक आर्थिक स्थिति का आकलन करेगा।