जयपुर:कर्नाटक चुनाव के बाद बीजेपी ने राजस्थान पर फोकस तेज कर दिया है। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल को मिला प्रमोशन चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। पार्टी आलाकमान ने प्रदेश में सोशल इंजीनियरिंग पटरी पर लाने की कोशिश की है। मेघवाल दलित समुदाय से आते है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ब्राह्मण है। जबकि नेता प्रतिपक्ष राजपूत है। माना जा रहा है कि आलाकमान ने अर्जुन मेघवाल को प्रमोशन देकर प्रदेश के दलित वोटर्स को साधने की कवायद की है। पार्टी आलाकमान ने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया को सीएम फेस घोषित फिलहाल नहीं किया है। ऐसे में माना जा रहा है कि अर्जुन मेघवाल को आगे कर बीजेपी वसुंधरा राजे को सियासी संदेश देना चाहती है। वसुंधरा राजे समर्थक लंबे समय राजे को सीएम फेस घोषित करने की मांग करते रहे हैं।
जातिगत समीकरण क्यों जरूरी?
राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 के अंत में है। प्रदेश में चुनावी हार-जीत में जातिय फैक्टर प्रमुख निभाता रहा है। राजस्थान में जाति के अंकगणित को चुनावों में जीत तक पहुंचने की कुंजी के रूप में देखा जाता है। यही वजह है कि राज्य के दलितों पर कांग्रेस-बीजेपी की नजर है। विधानसभा चुनाव 2018 में दलित कांग्रेस की तरफ झुके हुए थे। बीजेपी मेघवाल के जरिए दलितों को लुभाना चाहती है। जेपी नड्डा ने राज्य इकाई का नेतृत्व करने के लिए जाट नेता को हटा कर एक ब्राह्मण चेहरे को चुना था। वहीं हाल ही में राजेंद्र सिंह राठौड़ के कद को बढ़ाकर पार्टी ने राजनीतिक रूप से शक्तिशाली राजपूत समुदाय को साधने का प्रयास किया है। पार्टी अब मेघवाल के जरिए दलिकों को साधना चाहती है।
राहत के तौर पर भी देख रहे हैं जानकार
मेघवाल के प्रमोशन के राजनीतिक विश्लेषक वसुंधरा राजे के लिए राहत के तौर पर भी देख रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का यह भी कहना कि इस प्रमोशन से वसुंधरा राजे को राहत मिली है। क्योंकि वसुंधरा राजे के लिए उनका गुट लंबे समय से कैंपेन कमेटी के मुखिया के पद की आस लगाए बैठा है। इससे पहले राजस्थान की राजनीति में चर्चा थी कि मेघवाल को केंद्र की राजनीति से हटा कर राजस्थान भेजा जाएगा। वहां इलेक्शन कैंपेन कमेटी का उन्हें चेयरमैन बनाया जाएगा। जानकारों का कहना है कि कर्नाटक चुनाव के बाद बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। पार्टी आलाकमान वसुंधरा राजे कैंप की मांगे मान सकता है। राजे समर्थक लंबे समय से सीएम फेस घोषित करने की मांग कर रहे हैं।