डेस्क। कच्चे तेल के दाम मार्च 2024 के बाद से 20 फीसदी गिरकर 75 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गए हैं। इससे भारत में पेट्रोल और डीजल के दामों में कटौती की संभावना है। अप्रैल के बाद से वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल में 19 फीसदी की भारी गिरावट आई है। अब यह 72.48 डॉलर पर है। कोरोना की वजह से, जब मार्च 2020 में कीमतें दो दशक के निचले स्तर 19.9 डॉलर तक गिरीं तब से कीमतों में तेज वृद्धि हुई है। मार्च 2022 में कीमतें 2014 के बाद पहली बार 100 डॉलर को पार कर गईं और जून 2022 में दशक के उच्चतम स्तर 116 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं थीं।
गिरावट की वजह
दरअसल, दुनिया के सबसे बड़े तेल आयातक चीन से मांग कम होने से वैश्चिक स्तर पर कच्चे तेल कीमतों में गिरावट आई है। ओपेक ने चालू वर्ष के लिए अपने वैश्विक तेल मांग पूर्वानुमान को 2.11 मिलियन बैरल प्रतिदिन से घटाकर 2.03 मिलियन बैरल प्रति दिन किया था।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
इससे 58 लाख से अधिक डीजल मालवाहक वाहनों, छह करोड़ कारों और 27 करोड़ दो पहिया वाहनों की परिचालन लागत कम होगी, जो बड़े पैमाने पर पेट्रोल पर चलते हैं। सस्ते डीजल से परिवहन और रसद लागत में कमी आती है, जिससे मुद्रास्फीति कम होती है, क्योंकि अधिकांश सामान सड़क मार्ग से ले जाए जाते हैं। दरअसल, कार और दो पहिया वाहन उपयोगकर्ताओं की बचत का एक हिस्सा अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में खर्च होता है।
भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को क्रमश वर्ष 2010 और वर्ष 2014 में नियंत्रण मुक्त किया गया था। वर्ष 2017 तक तेल विपणन कंपनियों ने हर पाक्षिक दामों में बदलाव किया, तब से कीमतों को दैनिक रूप से संशोधित किया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है।
कटौती की संभावना कितनी
पेट्रोलियम सचिव ने कहा है कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमत लंबे समय तक कम रहती है तो तेल कंपनियां खुदरा कीमतों में कटौती पर विचार करेंगी। अमूमन, कच्चे तेल की कम कीमतों और किसी आगामी चुनाव के कारण दामों में कटौती हुई है। अगले 20 दिनों में हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं। फिर साल के अंत में महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव होने हैं।