चूरू:भीलवाड़ा में वर्ष 2021 का चतुर्मास कर गतिमान हुए जन-जन के आस्था के केन्द्र महातपस्वी, शांतिदूत, ज्योतिचरण वर्ष 2022 के चतुर्मास के लिए नौ जुलाई 2022 को छापर में स्थित आचार्य कालू महाश्रमण भवन में प्रवृष्ट होंगे। इससे पूर्व जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें देदीप्यमान महासूर्य आचार्य महाश्रमण ने तेरापंथ धर्मसंघ के इतिहास कई नवीन अध्यायों का सृजन कर धर्मसंघ की प्रभावना और वृद्धिंगत कर दिया। सप्तवर्षीय अहिंसा यात्रा की भव्य सम्पन्नता, शासनमाता को दर्शन देने के लिए 47 कि.मी. ऐतिहासिक महाप्रलम्ब विहार, अपने दोनों सुगुरुओं के समाधिस्थल पर उनके महाप्रयाण दिवस पर उपस्थित होना, नवीन साध्वीप्रमुखाजी का मनोनयन आदि अनेकों प्रसंग इन यात्राओं के दौरान जुड़े।
छापर चातुर्मासिक प्रवेश से एक दिन पूर्व शुक्रवार आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ बोथियावास से गतिमान हुए। संकरे ग्रामीण मार्ग के दोनों ओर रेत के टीलों पर छाई हरियाली मानों हाल ही में हुए बरसात को प्रमाणित कर रही थी। आचार्यश्री आज चाड़वास पधार रहे थे। कई-कई क्षेत्र जो आचार्यश्री के एक बार आगमन के लिए वर्षों से तरस रहे हैं वहीं चाड़वास वर्ष 2022 में ही तीसरी बार पूज्यचरणों से पावन बनने जा रहा था। ऐसी कृपा प्राप्त कर मानों चाड़वास का जन-जन और कण-कण आंनदित नजर आ रहा था। लगभग ग्यारह किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री चाड़वास में पधारे तो चाड़वास की जनता ने आचार्यश्री का भावभीना अभिनन्दन व स्वागत किया। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री विकास परिषद-चाड़वास द्वारा नवनिर्मित ‘महाप्रज्ञ भवन’ में प्रवास हेतु पधारे तो संबंधित लोगों ने आचार्यश्री से मंगलपाठ का श्रवण कर भवन का लोकार्पण किया।
इस अवसर पर उपस्थित जनता को आचार्यश्री ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि चार प्रकार की समाधियां बताई गई हैं- विनय, श्रुत, तपः और आचार समाधि। आदमी विनयशील होता है तो वह शांति, समाधि में रह सकता है। उसी प्रकार श्रुत की आराधना करने वाला, तपस्या करने वाला और अच्छा आचरण करने वाला भी शांति, समाधि में रह सकता है। विनयशीलता का विकास, श्रुत की आराधना, तपस्या करना और आचार को निर्मल बनाने के साथ आदमी के राग-द्वेष रूपी कषाय को कम करने का प्रयास हो। आदमी जिस तरह धन की एफडी करता है और उसे बढ़ाता रहता है, उसी प्रकार धर्म की एफडी को भी तपस्या, साधना के द्वारा बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। प्रतिदिन सामायिक, स्वाध्याय, जप और तप द्वारा धर्म की एफडी को बढ़ाने का प्रयास होता रहे।
आचार्यश्री ने चाड़वास आगमन के संदर्भ में कहा कि सन् 2022 में तीसरी बार चाड़वास में आना हो गया है। यह स्थान तो छापर से इतना नजदीक है कि हमारे संत चाहें तो यहां गोचरी को भी पधार सकते हैं। यहां परम पूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञजी का प्रथम स्वतंत्र मर्यादा महोत्सव हुआ था। मैं आचार्य मुनिश्री सोहनलालजी स्वामी का स्मरण करता हूं, जिनसे कुछ सीखने को मिला था। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वीप्रमुखाजी ने भी श्रद्धालुओं को उद्बोधित किया।
कार्यक्रम में चाड़वास से संबद्ध साध्वी विवेकश्रीजी ने अपनी श्रद्धासिक्त अभिव्यक्ति दी। साध्वी मनीषाश्रीजी ने अपनी अभिव्यक्ति के उपरान्त अपनी सहवर्ती साध्वी के साथ गीत का संगान किया। स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री जुगराज भण्डारी, उपाध्यक्ष श्री अशोक दूगड़, तेयुप अध्यक्ष श्री विक्रम भण्डारी, विकास परिषद-चाड़वास के अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र चोरड़िया, मंत्री श्री मनोज लूणिया, कोषाध्यक्ष श्री प्रदीप लूणिया, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष श्री विनोद बच्छावत, तेरापंथ महिला मण्डल की मंत्री श्रीमती मंजू चोरड़िया, श्री पन्नालाल बैद, श्री संजय बच्छावत, श्री कमल भंसाली, श्रीमती मोनिका, सरपंच प्रतिनिधि श्री रामदेव गोदारा व क्षेत्रीय विधायक श्री अभिनेष महर्षि ने अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए। स्थानीय तेरापंथ महिला मण्डल, चोरड़िया परिवार, श्रीमती प्रेक्षा भण्डारी व श्रीमती राजश्री दूगड़ ने गीत के माध्यम से पूज्यचरणों की अभ्यर्थना की।
*चाड़वास को अक्षय तृतीया, जन्मोत्सव, पट्टोत्सव सहित प्रवास की मिली सौगात*
इसी दौरान आचार्यश्री चाड़वासवासियों को नई सौगात प्रदान करते हुए कहा कि यथासंभवतया भविष्य में कभी अक्षय तृतीया, ग्यारह दिन का प्रवास वैशाख शुक्ला नवमी, दसमी और चतुर्दशी का कार्यक्रम भी चाड़वास में करने का भाव है। आचार्यश्री से प्राप्त हुई इस सौगात से चाड़वासवासी भावविभोर हो उठे और पूरा वातावरण जयघोष से गुंजायमान हो उठा।