नई दिल्ली:सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने शसस्त्र बलों पर खर्च को एक निवेश बताया है। सेना प्रमुख ने कहा कि सशस्त्र बलों पर खर्च एक ऐसा निवेश है जिस पर पूरा रिटर्न मिलता है और इसे अर्थव्यवस्था पर बोझ के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई देश शेयर बाजार के नीचे गिरने और हजारों निवेशकों के कंगाल होने के बाद भी झटके को सह सकता है यदि उसके सशस्त्र बल मजबूत हैं।
राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय में बुधवार को पुस्तक ‘फिफ्टी ईयर्स ऑफ 1971 वॉर: एकाउंट्स फ्रॉम वेटरन्स’ का विमोचन करने के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए नरल नरवणे ने कहा कि जब भी हम सशस्त्र बलों की बात करते हैं और सशस्त्र बलों के लिए किये गए निवेश और खर्च के बारे में हम जब भी बात करते हैं, हमें इसे ऐसे निवेश के रूप में देखना चाहिए जो आपको पूरा लाभ देता है और इसे अर्थव्यवस्था पर बोझ के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।’
उन्होंने कहा कि सभी ने देखा कि संकट के समय अर्थव्यवस्था पर कितना असर पड़ता है। उन्होंने कहा, ‘कहीं भी युद्ध होता है, कभी भी किसी क्षेत्र में अस्थिरता होती है तो आप सीधे शेयरों पर, स्टॉक मार्केट पर असर देख सकते हैं।’ जनरल नरवणे ने कहा कि इस तरह के झटकों को तभी झेला जा सकता है जब देश के सशस्त्र बल मजबूत हों।
उन्होंने कहा कि सशस्त्र बल देश की सुरक्षा में बड़ी भूमिका निभाते हैं, वहीं अन्य अंग भी उतनी ही अहम भूमिका निभाते हैं। जनरल नरवणे का बयान ऐसे समय में आया है जब रूस और यूक्रेन के बीच जंग चल रही है और भारत व चीन के बीच पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध बना हुआ है।