रणधीसर, चूरू (राजस्थान) : सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति की ज्योति जलाने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें आचार्य, शांतिदूत, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ गुरुवार को रणधीसर में पधारे तो स्थानीय ग्रामीण जनता ने अपने पूर्व सरपंच व पंचायत समिति सदस्य श्री भवानीसिंह राजपुरोहित के साथ भव्य स्वागत अभिनंदन किया। रणधीसर में एक भी तेरापंथी परिवार नहीं होने के बाद भी श्रद्धालु जनता की ऐसी उपस्थिति आचार्यश्री महाश्रमणजी को जन-जन के गुरु कहे जाने को मानों सार्थक बना रही थी। विभिन्न वाद्ययंत्रों की मंगल ध्वनि, सज्जित ऊंटों की उपस्थिति के बीच गूंजता जयघोष मानों पूरे वातावरण को महाश्रमण बना रहा था। श्रद्धालुओं का उत्साह देख कर यह अंदाज लगा पाना मुश्किल था कि यहां एक भी तेरापंथी परिवार नहीं है। रणधीसर का जन-जन शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी के स्वागत में आतुर नजर आ रहा था। भव्य जुलूस के साथ आचार्यश्री महाश्रमणजी गांव में स्थित श्री भवानीसिंह राजपुरोहित के निवास स्थान में पधारे।
इसके पूर्व गुरुवार को प्रातः आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पड़िहारा से मंगल प्रस्थान किया। रात में हुई रिमझिम बरसात से सुबह का वातावरण कुछ सुहावना था, किन्तु सूर्य के ऊर्ध्वारोहण करते ही वह शीतलता गायब हो गई और गर्मी और उमस ने अपना प्रभाव जमा लिया। लगभग नौ किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री रणधीसर में पधारे तो गांव का हर वर्ग, हर समाज आचार्यश्री के स्वागत में तत्पर नजर आ रहा था। सभी श्रद्धालु आचार्यश्री को श्रद्धा से वंदन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त कर रहे थे।
राजपुरोहित निवास में ही आयोजित मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में समुपस्थित ग्रामीण जनता को आचार्यश्री ने पावन संबोध प्रदान करते हुए कहा कि वृत्त और वित्त दो शब्द हैं। आदमी के जीवन में चरित्र और धन दोनों होते हैं, किन्तु सबसे महत्त्वपूर्ण आदमी का चरित्र होता है। आदमी का धन चला जाए तो मानों कुछ नहीं गया, लेकिन आदमी का धन के अर्जन में चरित्र चला जाए तो मानों सबकुछ चला गया। इसलिए आदमी को यत्नपूर्वक अपने चरित्र की रक्षा करने का प्रयास करना चाहिए। गृहस्थ जीवन में पैसे का भी महत्त्व होता है। पैसे के लिए झूठ बोलने, बेइमानी करने और चोरी करने से चरित्र धूमिल हो जाता है। आदमी को ईमानदारी और सच्चाई के मार्ग पर चलते हुए धनार्जन का प्रयास करना चाहिए। गृहस्थ अपने जीवन में ईमानदारी का पालन करने का प्रयास करे। जहां तक संभव हो झूठ का प्रयोग न करे। दूसरों के धन को धूल के समान समझने की भावना हो तो आदमी बहुत तक चोरी करने जैसे अपराध से भी बच सकता है। आदमी कहीं भी काम करे, उसे ईमानदारी रखने का प्रयास करना चाहिए। बेइमानी, और धोखेधड़ी का पैसा घर में न आए। ईमानदारी और सच्चाई के मार्ग पर चलते हुए धन भले कम प्राप्त हो, लेकिन धन के लिए चरित्र को गंवाने से बचने का प्रयास करना चाहिए। गृहस्थ अपने जीवन में खान-पान की शुद्धि रखे तो गृहस्थावस्था में भी कुछ अंशों में वह साधुता का जीवन जी सकता है और अपने जीवन का कल्याण कर सकता है।
आचार्यश्री ने कहा कि आज रणधीसर में आना हुआ है। परम पूज्य गुरुदेव कालूगणी की जन्मधरा छापर में नौ जुलाई को चतुर्मास हेतु प्रविष्ट होना है। उससे पहले रण्धीसर में आना हुआ है। संभवतः इस क्षेत्र से जुड़े एक संत छोगजी का स्मरण करता हूं। आचार्यश्री ने ग्रामीणों को सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की प्रेरणा प्रदान की तो हर्षित ग्राम्यजनों से तीनों प्रतिज्ञाओं को स्वीकार किया।
आचार्यश्री के स्वागत में एडिशनल एसपी श्री दुर्गपाल सिंह, पूर्व सरपंच व पंचायत कार्यसमिति सदस्य श्री भवानीसिंह राजपुरोहित, अधिवक्ता परिषद से व संघ प्रचारक श्री हरी बोरिकर, श्री रवि बैद व श्री प्रदीप सुराणा ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी श्रद्धासिक्त अभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने रणधीसरवासियों को शुभाशीष से आच्छादित करते हुए कहा कि आज यहां अनेक गणमान्य व्यक्ति व रणधीसर की जनता उपस्थित है। सभी में सद्भावना, नैतिकता, नशामुक्ति, सच्चाई व ईमानदारी की भवना बनी रहे, सभी का जीवन मंगलकारी हो। आचार्यश्री की आशीषवृष्टि में अभिस्नात ग्रामीण धन्यता की अनुभूति कर रहे थे।