रांची:बीजेपी में शामिल होने की अटकलों के बीच चंपाई सोरेन ने खुली बगावत कर दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर खुला पत्र लिख जेएमएम से अपनी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि इस वक्त उनके पास तीन विकल्प हैं जिनमें से वह कोई भी विकल्प चुन सकते हैं।
उन्होंने अपने पोस्ट में जेएमएम से नाराजगी की वजह बताई है। उन्होंने आरोप लगाया कि हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने के बाद बतौर सीएम उनके कार्यक्रमों को उन्हें बिना बताए रद्द कर दिया गया और जब उन्होंने इस बारे में सवाल किया तो उन्हें बताया गया कि 3 जुलाई को विधायक दल की बैठक बुलाई गई है और उस बैठक तक वह बतौर सीएम किसी भी कार्यक्रम में नहीं जा सकते।
अपमान का कड़वा घूंट पिया- चंपाई सोरेन
उन्होंने कहा, क्या लोकतंत्र में इस से अपमानजनक कुछ हो सकता है कि एक मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कोई अन्य व्यक्ति रद्द करवा दे? अपमान का यह कड़वा घूंट पीने के बावजूद मैंने कहा कि नियुक्ति पत्र वितरण सुबह है, जबकि दोपहर में विधायक दल की बैठक होगी, तो वहां से होते हुए मैं उसमें शामिल हो जाऊंगा। लेकिन, उधर से साफ इंकार कर दिया गया।
‘विधायक दल का एजेंडा तक नहीं बताया’
चंपाई सोरेन ने कहा, कहने को तो विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार मुख्यमंत्री का होता है, लेकिन मुझे बैठक का एजेंडा तक नहीं बताया गया था। बैठक के दौरान मुझ से इस्तीफा मांगा गया। मैं आश्चर्यचकित था, लेकिन मुझे सत्ता का मोह नहीं था, इसलिए मैंने तुरंत इस्तीफा दे दिया, लेकिन आत्म-सम्मान पर लगी चोट से दिल भावुक था।
उन्हें सिर्फ कुर्सी से मतलब- चंपाई सोरेन
पूर्व मुख्यमंत्री ने हेमंत सोरेन पर निशाना साधते हुए आगे लिखा, पिछले तीन दिनों से हो रहे अपमानजनक व्यवहार से भावुक होकर मैं आंसुओं को संभालने में लगा था, लेकिन उन्हें सिर्फ कुर्सी से मतलब था। मुझे ऐसा लगा, मानो उस पार्टी में मेरा कोई वजूद ही नहीं है, कोई अस्तित्व ही नहीं है, जिस पार्टी के लिए हम ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। इतने अपमान एवं तिरस्कार के बाद मैं वैकल्पिक राह तलाशने हेतु मजबूर हो गया।
उन्होंने कहा, मैंने भारी मन से विधायक दल की उसी बैठक में कहा कि – “आज से मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है।” इसमें मेरे पास तीन विकल्प थे। पहला, राजनीति से सन्यास लेना, दूसरा, अपना अलग संगठन खड़ा करना और तीसरा, इस राह में अगर कोई साथी मिले, तो उसके साथ आगे का सफर तय करना। उस दिन से लेकर आज तक, और आगामी झारखंड विधानसभा चुनावों तक, इस सफर में मेरे लिए सभी विकल्प खुले हुए हैं।