श्रीनगर:पाकिस्तान कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन को फिर से बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट और अलगाववादी गुट हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को आगे किया जा रहा है। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस केंद्र शासित प्रदेश में आतंकी हमलों में विफलता के बाद ‘शॉफ्ट मूवमेंट’ शुरू करने के लिए बेताब है। हालांकि, कश्मीर में अलगाववादियों और पूर्व आतंकवादियों की गिरफ्तारी से अलगाववाद को पुनर्जीवित करने को धक्का लगा है। जांचकर्ताओं का मानना है कि इसके बाद से ही अलगाववादी प्रयासों को पाकिस्तानी तत्वों के इशारे पर बढ़ावा दिया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ये तत्व घाटी में शांतिपूर्ण स्थिति को बिगाड़ने के लिए फिर से हड़ताल और पथराव शुरू करना चाहते थे। सूत्रों ने बताया, ‘ISI को लगता है कि वह अब केवल नियंत्रण रेखा पर हमले करने में सक्षम है और उसके ज्यादातर घुसपैठिए मारे जा चुके हैं। आईएसआई 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अलगाववादी आंदोलन शुरू करना चाहती है। यह भी फैक्ट है कि अलगाववादियों को 2017 से धन की भारी कमी का सामना करना पड़ा है।’ जांचकर्ताओं का कहना है कि अलगाववादी नेताओं को पुनरुत्थान के लिए धन देने का वादा किया गया था। साथ ही इन्हें अलगाववाद को जीवित रखने के लिए छोटे विरोध प्रदर्शन आयोजित करने का काम सौंपा गया।
JKLF-हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को बढ़ावा देने की कोशिश
सूत्रों ने बताया कि अलगाववादियों को कार्यक्रम आयोजित करने में 2 महीने लग गए। इस दौरान उनकी गतिविधियों पर देश की सुरक्षा एजेंसियों की ओर से नजर रखी जा रही थी। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बताया, ’10 पूर्व आतंकवादियों और अलगाववादियों को हिरासत में लिया गया है। ये लोग बैठक के लिए श्रीनगर के एक होटल में जुटे थे। हिरासत में लिए गए अलगाववादी जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) और अलगाववादी समूह हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को पुनर्जीवित करने की कोशिश में थे। इन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 121A (अपराध की साजिश) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया।’
सेमिनार के लिए होटल में इकट्ठा हुए अलगाववादी
रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस से जुड़े सूत्रों ने कहा कि अलगाववादी सेमिनार के लिए इकट्ठे हुए थे। यह दिवंगत अलगाववादी सैयद अली गिलानी के नेतृत्व वाले हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सहयोगी डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट (DPM) की ओर से आयोजित किया गया। इस बीच, आतंकी संगठन अल-कायदा ने अफगान तालिबान से मजबूत रिश्ते बना लिए हैं। यह आतंकी संगठन भी घाटी को निशाना बनाने के लिए नए समूहों को अपने साथ जोड़ रहा है। अलकायदा बांग्लादेश और म्यांमार में अपने अभियान को विस्तार देने के लिए क्षेत्रीय सहयोगी को आकार दे रहा है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।