नई दिल्ली। कांग्रेस ने हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा सेबी प्रमुख माधवी बुच पर लगाए गए आरोपों को लेकर शनिवार को उनकी निंदा की और लातिन कहावत का इस्तेमाल करते हुए कहा, ‘चौकीदार की चौकीदारी कौन करेगा।’ कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने हिंडनबर्ग की पोस्ट को टैग करते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘संसद को 12 अगस्त की शाम तक कार्यवाही के लिए अधिसूचित किया गया था। अचानक 9 अगस्त की दोपहर को ही इसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। अब हमें पता है कि क्यों।’
कांग्रेस ने शनिवार को केंद्र से अडानी समूह की नियामक जांच में हितों के सभी टकराव को खत्म करने के लिए तुरंत कार्रवाई करने की मांग की। विपक्षी दल ने यह भी कहा कि ‘देश के सर्वोच्च अधिकारियों की कथित मिलीभगत’ का समाधान केवल ‘घोटाले’ की पूर्ण जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति गठित करके ही किया जा सकता है।
सेबी प्रमुख ने हमारे पत्रों का जवाब क्यों नहीं दिया: प्रियंका चतुर्वेदी
सेबी प्रमुख पर आरोपों के मद्देनजर शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (शिवसेना-यूबीटी) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने शनिवार को कहा कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि सेबी ने अडानी समूह की कंपनियों के विवरण मांगने वाले उनके पत्रों का जवाब क्यों नहीं दिया। चतुर्वेदी ने पिछले साल अप्रैल में अडानी समूह की कंपनियों के खिलाफ जांच का ब्योरा मांगा था। शिवसेना यूबीटी प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से पता चलता है कि इस मामले में सेबी प्रमुख की संलिप्तता है। दुबे ने कहा, ‘सवाल यह है कि मामले की जांच कौन करेगा। जिस तरह से संसद सत्र संपन्न हुआ, उससे ऐसा लगता है कि कुछ गड़बड़ है।’
हिंडनबर्ग ने नए दावे में सेबी चेयरपर्सन को लपेटा
अमेरिका की रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग ने शनिवार को अपनी नई रिपोर्ट में सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच पर गंभीर आरोप लगाए हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च के नए दावे के मुताबिक सेबी की चेयरपर्सन माधवी बुच और उनके पति की अडानी मनी साइफनिंग मामले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ऑफशोर फंडों में हिस्सेदारी थी। हालांकि सेबी की ओर से इस पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं आई है। इससे पहले हिंडनबर्ग रिसर्च ने सुबह सोशल मीडिया मंच एक्स पर ऐलान किया था कि भारत में कुछ बड़ा होने वाला है।
हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर अपनी पिछली रिपोर्ट के 18 माह बाद एक ब्लॉग पोस्ट में आरोप लगाया, सेबी ने अडानी के मॉरीशस और ऑफशोर शेल कंपनियों के कथित अघोषित जाल में रुचि नहीं दिखाई, जो आश्चर्यजनक है। दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा गया कि सेबी की वर्तमान प्रमुख माधवी बुच और उनके पति धवल बुच के पास अडानी धन मामले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंड में हिस्सेदारी थी। इसमें गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी ने काफी मात्रा में पैसा लगाया गया था। विनोद अडानी समूह की कंपनियों के चेयरमैन हैं। उन्होंने इस फंड का इस्तेमाल किया।
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने आरोपों में कहा कि अप्रैल 2017 से लेकर मार्च 2022 के दौरान माधबी पुरी बुच सेबी की पूर्ण सदस्य होने के साथ चेयरपर्सन भी थीं। उनका सिंगापुर में अगोरा पार्टनर्स नाम से कंसलटिंग फर्म में 100 फीसदी स्टेक था। 16 मार्च 2022 को सेबी के चेयरपर्सन नियुक्ति किए जाने से दो हफ्ते पहले उन्होंने कंपनी में अपने शेयर्स अपने पति के नाम ट्रांसफर कर दिए।
सेबी चेयरपर्सन को लपेटा
रिपोर्ट में आगे कहा गया है- व्हिसिलब्लोअर दस्तावेजों के अनुसार ऐसा लगता है कि माधवी बुच और उनके पति धवल बुच ने पहली बार 5 जून, 2015 को सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड 1 के साथ अपना खाता खोला था। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ऑफशोर मॉरीशस फंड की स्थापना इंडिया इंफोलाइन के माध्यम से एक अडानी निदेशक द्वारा की गई थी और यह टैक्स हेवन मॉरीशस में रजिस्टर्ड है। हिंडनबर्ग नेकहा कि ठीक उसी फंड का उपयोग किया जा रहा है, जिसका इस्तेमाल गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी ने किया था।
क्या है ताजा रिपोर्ट में
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में आगे लिखा गया है- हमारी रिपोर्ट की पुष्टि और विस्तार करनेवाले 40 से अधिक स्वतंत्र मीडिया जांचों के साथ-साथ सबूतों के बावजूद भारतीय प्रतिभूति नियामक यानी सेबी ने अडानी समूह के खिलाफ कोई सार्वजनिक कार्रवाई नहीं की है। इसके बजाय 27 जून, 2024 को सेबी ने हमें एक ‘कारण बताओ’ नोटिस भेजा। सेबी ने हमारे 106 पेज के विश्लेषण में किसी भी तथ्यात्मक त्रुटि का आरोप नहीं लगाया। बल्कि यह कहा कि जो भी सबूत दिए गए वो अपर्याप्त थे।
बीते साल भी एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी
बता दें कि बीते वर्ष हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसमें शेयरों के दामों में हेराफेरी का आरोप लगाया गया था। रिपोर्ट के बाद समूह के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी। हालांकि, बाद में इसमें तेजी लौट आई थी। इस रिपोर्ट को लेकर भारतीय शेयर बाजार रेगुलेटर सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने हिंडनबर्ग को 46 पेज का कारण बताओ नोटिस भी भेजा था।
1 जुलाई, 2024 को अपने एक ब्लॉग पोस्ट में हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि नोटिस में बताया गया है कि उसने नियमों का उल्लंघन किया है। कंपनी ने कहा, सेबी ने आरोप लगाया है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में गुमराह करने के लिए कुछ गलत बयान शामिल किए गए हैं। इसका जवाब देते हुए हिंडनबर्ग ने सेबी पर ही कई तरह के आरोप लगाए थे।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था मामला, मिली थी राहत
बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। उच्चतम न्यायालय ने सेबी की रिपोर्ट को सही बताते हुए अडानी समूह को राहत दी थी। कोर्ट ने कहा था कि वह नियामकीय व्यवस्था के दायरे में नहीं आ सकता और हिंडनबर्ग की रिपोर्ट या ऐसी कोई भी चीज अलग से जांच के आदेश का आधार नहीं बन सकती। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह साबित करने का कोई आधार नहीं है कि सेबी ने कदम उठाने में ढिलाई बरती। शीर्ष अदालत ने अडानी समूह की ओर से शेयर के दामों में हेरफेर के आरोपों की जांच एसआईटी या सीबीआई से कराने की मांग खारिज कर दी थी।
क्या है हिंडनबर्ग रिसर्च?
हिंडनबर्ग रिसर्च अमेरिका की एक फोरेंसिक वित्तीय अनुसंधान कंपनी है। इसकी स्थापना साल 2017 में नाथन एंडरसन ने की थी। इस कंपनी का काम इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव्स का विश्लेषण करना है। यह किसी भी कंपनी में हो रही गड़बड़ी का पता लगाती है। इसके बाद उस कंपनी और गड़बड़ी की रिपोर्ट प्रकाशित करती है।
ऑफशोर फंड क्या है?
ऑफशोर फंड्स विदेशी बाजार में निवेश करने वाली म्यूचुअल फंड की स्कीम है. इन्हें इंटरनेशनल फंड्स भी कहा जाता है। ऑफशोर निवेश का मतलब है कि कोई भी निवेश गतिविधि किसी दूसरे देश, स्थान या अधिकार क्षेत्र में होती है।
ऑफशोर फंड्स या कंपनियों का मकसद
ऑफशोर ऐसी कंपनियां होता हैं जो किसी तरह के टैक्स, फाइनेंस या लीगल फायदे के लिए टैक्स हैवन देशों में गुपचुप तरीके से अपना संचालन शुरू कर देती हैं। ये कंपनियां कॉर्पोरेट टैक्स, कैपिटल गेन जैसे कई तरह के टैक्स से बच जाती हैं।